उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा कस्बे में एक अद्वितीय कहानी सुनने को मिल रही है. यहां 19 वर्षीय राजा खान ने अपनी रामभक्ति और रामलीला के प्रति समर्पण के साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बनकर अपनी पहचान बनाई है. राजा खान का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी रामभक्ति और रामलीला के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है. वह पिछले आठ वर्षों से श्री धार्मिक रामलीला कमेटी में अभिनय कर रहे हैं और उनकी अदायगी ने दर्शकों का दिल जीत लिया है.
राजा खान लद्दाख में कपड़े का कारोबार और अन्य व्यवसाय करते हैं, लेकिन हर साल जैसे ही खेकड़ा कस्बे में रामलीला की तैयारियां शुरू होती हैं, वह अपना कामकाज छोड़कर यहां पहुंच जाते हैं. रामलीला के मंचन में पूरी निष्ठा से भाग लेते हैं और हर बार अपनी अदायगी से लोगों को प्रभावित करते हैं. उनकी भक्ति और अभिनय ने कस्बे में उन्हें अलग पहचान दिलाई है.
राजा खान का कहना है कि उनके लिए भगवान श्रीराम आराध्य हैं. वे मानते हैं कि भगवान किसी एक धर्म के नहीं, बल्कि पूरे समाज के पूजनीय हैं. उनका कहना है, “सभी को भगवान की पूजा करनी चाहिए और आपसी भाईचारे के रास्ते पर चलना चाहिए.” यही वजह है कि वह हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों की मान्यताओं को आदरपूर्वक मानते हैं और इसी के जरिए समाज को एकजुट करने का संदेश देते हैं.
श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आदेश कुमार ने बताया कि राजा खान लद्दाख में रहते हुए भी फोन पर लगातार संपर्क बनाए रखते हैं. रामलीला मंचन के समय से पहले वह खेकड़ा आकर पूरी जिम्मेदारी निभाते हैं. आदेश कुमार के मुताबिक, “राजा खान का भगवान राम के प्रति समर्पण काबिले तारीफ है. उनके अभिनय और आस्था से समाज में सकारात्मक संदेश जा रहा है.”
राजा खान की रामभक्ति और अभिनय लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. युवा उम्र में ही जिस तरह उन्होंने धार्मिक मंचन में अपनी पहचान बनाई है, वह मिसाल बन चुकी है. हर कोई उनके प्रयासों की सराहना करता है और उन्हें हिंदू-मुस्लिम एकता का जीवंत प्रतीक मानता है.

