Uttar Pradesh

जन आभार: पुलिस की कार्रवाई और लोगों की अदालत के फैसले पर दिखाए गए अद्भुत प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए पुलिस अभिलेखों और सार्वजनिक स्थानों पर जाति के उल्लेख पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद जारी किया गया है. मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि अब एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो या अन्य पुलिस दस्तावेजों में जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा. इसकी जगह पहचान के लिए माता-पिता का नाम इस्तेमाल किया जाएगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स पर लगे जाति-आधारित प्रतीक, नारे और संदर्भों को तुरंत हटाया जाए. इसके साथ ही पूरे राज्य में जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगाया गया है.

वाहनों पर जाति सूचक शब्द लगाने से होती है काफी दिक्कतें. निवासी आचार्य सोम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि माननीय न्यायालय ने जो भी आदेश पारित किया है उसका मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं और मानता हूं कि ऐसा होना भी चाहिए. वाहनों पर जाति सूचक शब्द लगाने से काफी दिक्कतें होती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह वाहनों पर हो पाएगा? इससे पहले भी सरकार, अधिकारियों और न्यायालय ने इन शब्दों को वाहनों से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन क्या यह हट पाएं. हाल ही में मेरे सहारनपुर के वरिष्ठ अधिकारियों का बयान सुना, जिसमें उन्होंने कहा है कि अब वाहनों पर इस तरह के नाम पूरे तरीके से हटाए जाएंगे और नहीं मानने पर चालान किए जाएंगे. सबके लिए कानून एक होना चाहिए. कानून अलग-अलग होगा तो वह हमारे लिए मुसीबत पैदा करेगा.

वाहनों पर जाति सूचक शब्द लिखकर क्या करना चाहते हैं साबित? निवासी अंशुल ने कहा कि कोर्ट के फैसले को मैं बहुत ही सराहनीय फैसला मानता हूं और यह सब होना भी चाहिए. अपने वाहनों पर जाति लिखकर हम लोग क्या कुछ प्रदर्शित करना चाहते हैं? ‘अपना बाहुबल’ सबको समान रखना चाहिए, सबको समानता में रहना चाहिए. वाहनों पर लिखा जाति विशेष जैसे नाम को मैं बहुत ही खतरनाक मानता हूं. हम जिस बिरादरी में पैदा हुए हैं, अगर मैं जगह-जगह जाट लिखकर क्या कुछ प्रदर्शित करना चाहूंगा, जबकि ऐसा करने से मेरी खुद की बिरादरी की बदनामी होगी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का पूरे तरीके से किया जा रहा पालन. एसपी ट्रैफिक सिद्धार्थ वर्मा ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों का एक निर्देश सभी जनपद के अधिकारियों को मिला है. जिसके तहत किसी भी प्रकार के वाहन पर किसी प्रकार की जाति संबंधी कोई भी चिह्न या फोटो नहीं लगाया जाएगा. जिसको लेकर विशेष रूप से तीन दिन से लगातार अभियान चलाया जा रहा है, और उस अभियान के तहत जिन भी वाहनों पर इस तरह के चिन्ह पाए जा रहे हैं उनको तत्काल उसी समय मौके से हटाया जा रहा है. वाहन चालकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है. जनपद सहारनपुर की बात करें तो जब से अभियान चल रहा है तब से ऐसे 25 वाहनों को चिन्हित करते हुए उनके ऊपर कारवाई की गई है.

You Missed

Bihar election fallout, SIR set to dominate winter session of Parliament starting from December 1
Top StoriesNov 8, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभाव, 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में SIR का दबदबा

यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इस सर्दियों के सत्र को 2014 के…

ED attaches PFI properties worth Rs 67 crore used for terror training, total seizures cross Rs 129 crore
Manipur's Kuki leaders meet MHA advisor; hill communities seek legislative autonomy
Top StoriesNov 8, 2025

मणिपुर के कुकी नेता एमएचए सलाहकार से मिलते हैं; पहाड़ी समुदायें विधायी स्वायत्तता की मांग करते हैं

मणिपुर में कुकी समुदाय के लिए केंद्र शासित प्रदेश की मांग जारी गुवाहाटी: मणिपुर में कुकी समुदाय ने…

Scroll to Top