लखीमपुर खीरी में बाघ और तेंदुआ का आतंक बढ़ गया है, जिससे किसान अपने खेतों में जाने से डर रहे हैं। इस कारण धान और गन्ना की कटाई प्रभावित हो रही है और लोगों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है।
जिले में लगातार बाघ और तेंदुआ का आतंक बढ़ता जा रहा है। दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में बरसात के मौसम में पानी भर जाने के कारण ये जानवर भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों और गन्ने के खेतों में आने लगे हैं। इसके चलते किसान अपने खेतों में जाने से डर रहे हैं। खेतों में घुसते ही बाघ और तेंदुआ हमला कर देते हैं, जिससे स्थानीय लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।
गौरतलब है कि बबियारी गांव में मिश्रीलाल नामक व्यक्ति पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। वह बाजार से घर लौट रहे थे, तभी तेंदुए ने उन पर झपट्टा मारा। घटना में मिश्रीलाल गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए तुरंत अस्पताल भेजा गया। यह घटना जिले में लगातार बढ़ते बाघ और तेंदुआ आतंक की चिंता और बढ़ा रही है।
वहीं इन दिनों गन्ने और धान की फसल तैयार हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में कटाई शुरू होगी लेकिन किसान डर के मारे खेतों में जाने से कतरा रहे हैं। डिमरौल गांव के पास दिखा था तेंदुआ। गौरतलब है कि बिजुआ के डिमरौल गांव के पास सड़क पर तेंदुआ देखा गया था, जिससे स्थानीय लोगों में डर का माहौल है।
दुधवा नेशनल पार्क से निकली हमलावर बाघिन बरौंछा अब 17 दिन से डीटीआर बफरजोन पलिया रेंज के आसपास गन्ने के खेतों में घुसकर ग्रामीणों के लिए खतरा बनी हुई है। वहीं वन विभाग की रेस्क्यू टीम और बाघिन के बीच लगातार लुकाछिपी का खेल जारी है। हालांकि टीम ने प्रभावित क्षेत्र में जालीदार ट्रैक्टर से कॉम्बिंग की, छह कैमरे और दो पिंजरे लगाए और बकरियों को फंसाया, लेकिन अब तक बाघिन पकड़ी नहीं जा सकी। उसकी गतिविधियों पर सेटेलाइट और ड्रोन के जरिए नजर रखी जा रही है।
21 दिनों से बाघिन का आतंक। जानकारी के मुताबिक, 21 दिन पहले बाघिन जंगल से निकलकर गजरौला, ऐंठपुर और कंपनी फार्म क्षेत्र में पहुंची थी। इस दौरान उसने एक पालतू भैंस और दो बकरियों को मार डाला। वन विभाग की निगरानी टीमों ने उसे खदेड़ने की कोशिश की, लेकिन वह गन्ने के खेतों में छिप गई और अब तक इलाके में आतंक बनाए हुए है।
रेस्क्यू के लिए प्रयास जारी। डीएफओ संजय विश्वास ने बताया कि बरसात के मौसम में बाघ और तेंदुआ सबसे अधिक गन्ने के खेतों में अपना ठिकाना बना लेते हैं। इसके चलते स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए लगातार जागरूक किया जाता है। वन विभाग की टीम द्वारा बाघ और तेंदुआ को पकड़ने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं और पिंजरे भी लगाए जाते हैं। कई तेंदुए और बाघों को पिंजरे में कैद कर सुरक्षित रूप से जंगलों में पुनः छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही लोगों को सलाह दी जा रही है कि खेतों में जाने के दौरान हमेशा समूह के साथ जाएं, जिससे हमले जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

