वाराणसी में एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला. जहां यूपी के कई जिलों में एक ओर कुछ लोग ‘I Love Muhammad’ के नारे लगा रहे थे, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम कारीगर शमशाद हिंदुओं के लिए रावण का पुतला तैयार कर रहा था. यह नजारा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करता है.
वाराणसी को गंगा जमुनी तहजीब का शहर कहा जाता है. इस शहर में एक तरफ मस्जिदों से अजान की आवाज तो दूसरी तरफ मंदिरों से भजन, घंटे-घड़ियाल की गूंज सुनाई देती है. इसी शहर में बुराई पर अच्छाई के महापर्व दशहरे पर कौमी एकता अनोखी मिसाल दिखाई देती है. काशी में तीन पीढ़ियों से मुस्लिम परिवार पूर्वांचल का सबसे बड़ा रावण का पुतला तैयार कर रहा है.
गौरतलब है कि जहां एक तरफ कानपुर से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ का विवाद काशी पहुंच चुका है. इस विवाद के बीच काशी के संतों ने अब ‘आई लव महादेव’ का नारा दिया है. वहीं इस मामले ने सियासी तूल भी पकड़ लिया है. वहीं इन सब बातों को दरकिनार कर बनारस रेल इंजन कारखाने में बन रहे 70 फीट ऊंचे रावण के पुतले के साथ 65 फीट का कुंभकर्ण और 60 फीट के मेघनाथ का पुतला बनाया जा रहा है. फिलहाल शमशाद का पूरा परिवार डेढ़ महीने से इस काम में लगा हुआ है.
1 अक्टूबर को सबसे बड़े रावण के इस पुतले को बीएलडब्ल्यू के रामलीला मैदान में खड़ा किया जाएगा. फिर दशहरे के दिन इसको जलाया जाएगा. शमशाद खान के नाना ने बीएलडब्ल्यू के स्थापना के समय 1961 में इस परंपरा को शुरू किया था जो आज भी अनवरत चल रहा है. अब शमशाद खान के बेटे भी इससे जुड़े गए हैं और वो भी इस काम को बड़े ही सिद्दत से कर रहे हैं. बीएलडब्ल्यू के अलावा शमशाद अली का परिवार अन्य दशहरे के रावण भी तैयार करता है. उन्होंने बताया कि इस काम में काफी सुकून मिलता है और रावण बनाना उनका खानदानी पेशा बन गया है.
इस बार का रावण दशानंद होगा. उसके 10 सिर पुतले में नजर आएंगे. बाकी कलर कॉम्बिनेशन के हिसाब से भी उसे अलग रूप दिया जा रहा है. खास बात ये भी है कि रावण दहन में इको फ्रेंडली पटाखे यूज होंगे जो आसमान में 15 से 20 मिनट तक जगमग होंगे. ढाई घंटे की होगी रामलीला बीएलडब्ल्यू के रामलीला मैदान में होने वाले इस रावण दहन से पहले ढाई घंटे मोनो एक्टिंग रामलीला भी होगी जो रामचरितमानस पर आधारित होगा. इस रामलीला में भगवान राम के जन्म से लेकर रावण वध तक कि लीला का मंचन किया जाएगा.

