लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 9 अक्टूबर को आयोजित होने वाली रैली को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में ‘लाई-चना खाएंगे, रैली को सफल बनाएंगे’ का नारा दिया है. इस रैली को संबोधित करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती राजधानी के जेल रोड स्थित कांशीराम स्थल पर उपस्थित होंगी, जिसमें केंद्रीय संयोजक आकाश आनंद समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहेंगे.
इस कार्यक्रम को लेकर बहुजन समाज पार्टी में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. पार्टी का लक्ष्य 5 लाख लोगों को बुलाने का है, लेकिन संसाधनों के अभाव में समर्थकों को अपने साधनों से रैली में आने को कहा गया है. यह पहला मौका है जब करीब 8 से 9 साल के बाद सार्वजनिक तौर पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती इस तरह के कार्यक्रम में स्वीकृत करने वाली हैं, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ रहा है.
बसपा नेता समर्थकों 9 अक्टूबर को होने वाली रैली को लेकर यह नारा दे रहे हैं, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है. पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक मनमोहन अग्रवाल का मानना है कि बहुजन समाज पार्टी के लिए यह जरूरी हो गया था किस तरह के कार्यक्रम आयोजित करवाए जाएं.
बसपा कराना चाहती है ताकत का एहसास
बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर अपने कैडर वोट बैंक को न सिर्फ इकट्ठा करना चाहती है बल्कि विधानसभा चुनाव 2027 में उनको एक साथ लाकर अपने ताकत का एहसास करवाना चाहती है. अब क्योंकि आकाश आनंद भी पूरी तरह से एक्टिव हो चुके हैं तो ऐसे में यह बात बेहद जरूरी हो जाता है कि बहुजन समाज पार्टी का कैडर वोट उनके साथ खड़ा हो. हालांकि इससे पहले जितने भी चुनाव हुए हैं बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में रिजल्ट अच्छा दिखाई नहीं देता है. समाजवादी पार्टी का इस पूरे मामले पर कहना है कि मायावती भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रही हैं.
वोट बैंक को पॉजिटिव मैसेज देने की कोशिश
सियासत में हमेशा से जीत और हार के विकल्प मौजूद रहते हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी के पास विकल्प बेहद सीमित है. पिछले प्रदर्शन बताते हैं कि उनके सामने कई सारी चुनौतियां खड़ी हैं. ऐसे में 2027 के चुनाव से पहले इस तरह का आयोजन करके बहुजन समाज पार्टी न सिर्फ अपनी ताकत के एहसास करवाना चाहती है बल्कि अपने वोट बैंक को सकारात्मक मैसेज भी देना चाहती है.

