उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले का झौनी नगला गांव दीपावली की असली रौनक मिट्टी के दीयों और अनारों से सजता है. इस बार भी कारीगर दिन-रात मेहनत कर उम्मीद कर रहे हैं कि लोगों का रुझान चाइनीज़ दीयों से हटकर फिर से मिट्टी के दीयों की ओर लौटेगा. यहां दीपावली के आते ही मिट्टी की खुशबू और चाक की खटखटाहट गांव में रौनक भर देती है.
झौनी नगला गांव की आधी से ज्यादा आबादी मिट्टी के दीये और अनार बनाने के काम से जुड़ी हुई है. यहां पीढ़ियों से कुम्हार परिवार अपनी कला को जीवित रखे हुए हैं. दीपावली करीब आते ही पूरा गांव परिवार संग मिलकर इस परंपरागत काम में जुट जाता है. अब इलेक्ट्रिक चाक मशीनों की मदद से भी आकर्षक डिज़ाइन वाले दीये और अनार बनाए जा रहे हैं.
मिट्टी को आकार देने की मेहनत कुम्हार बताते हैं कि एक दीया या अनार तैयार करना आसान काम नहीं होता. मिट्टी को छानने से लेकर उसे गूंथने और फिर आकार देने तक कई दिनों की मेहनत लगती है. परिवार के सभी सदस्य इस काम में हाथ बंटाते हैं और दीपावली की तैयारी को अपना साझा दायित्व मानते हैं.
पीढ़ियों से निभा रहे परंपरा के बारे में नरेंद्र कुमार और नीरज ने बताया कि उनका परिवार वर्षों से इस परंपरा को निभा रहा है. इस कला और परंपरा से जुड़े रहने का जुनून ही उन्हें दिन-रात काम करने की प्रेरणा देता है. नीरज ने कहा कि दीपावली नजदीक है और मिट्टी के दीयों व अनारों के ऑर्डर आने लगे हैं. परिवार मिलकर लगातार इन्हें तैयार कर रहा है.
मिट्टी के दीयों से रोशन होंगे घर कुम्हारों को इस बार पूरी उम्मीद है कि चाइनीज़ दीयों से लोगों का मोहभंग होगा और घर-घर फिर से मिट्टी के दीये जगमगाएंगे. जब ये दीये दीपावली की रात रोशनी फैलाएंगे, तो उनकी चमक से कुम्हारों के घर भी रोशन होंगे.

