लखनऊ हाईकोर्ट में खुर्रम नगर के कथित अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण को लेकर हैरान कर देने वाली स्थिति सामने आई है. जहां एक ओर डबल बेंच ने आदेश का पालन न होने पर सख़्त रुख अपनाया, वहीं सिंगल बेंच ने उसी निर्माण पर स्टे दे दिया. डबल बेंच ने आश्चर्य जताते हुए मामले का पूरा रिकॉर्ड तलब किया और सवाल उठाया कि इतनी अर्जेंसी क्या थी कि याचिका दाखिल होने के दिन ही सुनवाई कर स्टे दे दिया गया.
लखनऊ. यूपी की लखनऊ हाईकोर्ट में खुर्रम नगर इलाके के एक कथित अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण को लेकर दिलचस्प स्थिति पैदा हो गई है. जहां एक ओर डबल बेंच ने ध्वस्तीकरण आदेश का अनुपालन न होने पर सख़्त रुख अपनाया, वहीं दूसरी ओर सिंगल बेंच ने उसी निर्माण पर स्टे दे दिया. इस पर डबल बेंच ने न सिर्फ आश्चर्य जताया बल्कि मामले का पूरा रिकॉर्ड भी तलब कर लिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.
खुर्रम नगर के कथित अवैध निर्माण को गिराने का आदेश पहले ही पारित हो चुका था. लेकिन आदेश का अनुपालन न होने पर डबल बेंच नाराज़ थी और अधिकारियों पर कार्रवाई के संकेत दे रही थी. डबल बेंच का कहना था कि कानून के खिलाफ बने निर्माण को बचाने की कोई गुंजाइश नहीं है और इसे गिराना ही होगा.
सिंगल बेंच ने दिया स्टे ऑर्डर इसी बीच, सिंगल बेंच में एक नई याचिका दाखिल हुई. आश्चर्य की बात यह रही कि जिस दिन याचिका दाखिल हुई, उसी दिन अर्जेंसी दिखाते हुए सुनवाई की गई और ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी गई. सिंगल बेंच ने कहा कि अपील का निस्तारण होने तक निर्माण को नहीं गिराया जाएगा. सिंगल बेंच के इस आदेश से डबल बेंच चकित रह गई. डबल बेंच ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि याचिका दाखिल होने के उसी दिन सुनवाई कर दी गई और आदेश पारित हो गया. अदालत ने साफ कहा कि यह मामला गंभीर है और इस पर जल्द स्पष्टता जरूरी है।
रिकॉर्ड तलब, 27 अक्टूबर को अगली सुनवाई डबल बेंच ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड तलब कर लिए हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कार्यवाही किस दिशा में जाती है. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 27 अक्टूबर तय की है. माना जा रहा है कि उस दिन इस टकराव पर बड़ा फैसला आ सकता है. यह मामला न सिर्फ एक अवैध निर्माण से जुड़ा है बल्कि न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और अलग-अलग बेंचों के बीच तालमेल को भी सवालों के घेरे में खड़ा करता है. जहां एक तरफ कानून के अनुपालन की सख्ती दिखाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ राहत देने वाला आदेश भी सामने आ रहा है. ऐसे में आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि न्यायालय किस पक्ष को प्राथमिकता देगा-अवैध निर्माण हटाने को या अपील की सुनवाई पूरी होने तक राहत देने को.

