नई दिल्ली, 18 सितंबर। एक नए शोध में पाया गया है कि लगातार नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ सकता है। यह शोध अमेरिकी एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने 2,750 स्वस्थ दिमाग वाले बुजुर्गों का अध्ययन किया, जिनकी औसत आयु 70 वर्ष थी। इनमें से लगभग 16% लोगों को लगातार नींद की कमी का शिकार होने का पता चला। शोधकर्ताओं का कहना है कि लगातार नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा 40% बढ़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को लगातार नींद की कमी थी, उनमें 14% लोगों को दिमागी कमजोरी या अल्जाइमर रोग हो गया। जबकि जिन लोगों को नींद की कमी नहीं थी, उनमें 10% लोगों को दिमागी कमजोरी या अल्जाइमर रोग हुआ।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिन लोगों ने अपनी नींद की अवधि को कम बताया, उनमें दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा अधिक था। इसके अलावा, जिन लोगों ने अपनी नींद की अवधि को अधिक बताया, उनमें दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा कम था।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिन लोगों को अल्जाइमर रोग के लिए जोखिम कारक होने वाले जीन की समस्या थी, उनमें दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा अधिक था।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि लगातार नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ने का कारण क्या है।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि लगातार नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके लिए अच्छी नींद की आदतें अपनानी होंगी। इसके लिए कैफीन का सेवन दोपहर में कम करना होगा, शराब का सेवन कम करना होगा, सोने से पहले बड़े भोजन या व्यायाम करने से बचना होगा, और सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग कम करना होगा।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि लगातार नींद की कमी से दिमागी कमजोरी और अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ने से रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए अच्छी नींद की आदतें अपनानी होंगी। इसके लिए नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अच्छी नींद की आदतें अपनानी होंगी।