अमृत से कम नहीं बरसात में उगने वाली यह घास, लिवर-किडनी के लिए है रामबाण
पीलीभीत. अक्सर हमें अपने घरों या फिर खेतों के आस पास कई पौधे देखने को मिलते हैं. वहीं बरसात में तो जगह जगह कई अनचाहे पौधे उग आते हैं. मगर कुछ अनचाहे पौधे ऐसे भी होते हैं, जो संजीवनी बूटी से कम नहीं होते. एक ऐसा ही पौधा है, भूमि आंवला, जिसे भुईआंवला या भूआमलकी के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर सालभर घरों और खेतों में अलग-अलग तरह के पौधे उगते हैं. इनमें से कई पौधे मुफ्त में ही दवा का काम करते हैं. ऐसा ही एक पौधा है भूमि आंवला, जो कई रोगों में कारगर साबित होता है।
पीलीभीत के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. आदित्य पांडेय ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार, प्रकृति की हर चीज किसी न किसी काम आती है. आदित्य पांडेय ने बताया कि हम अक्सर अपने घरों और खेतों में उगे अनचाहे पौधों को उखाड़ फेंकते हैं, लेकिन इनमें से कई पौधे औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. भूमि आंवला भी ऐसा ही एक पौधा है, इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Phyllanthus niruri होता है. यह आमतौर पर बरसात के मौसम में खेतों और नमी वाली जगहों पर खरपतवार के रूप में उगता है. यह कई रोगों में लाभकारी साबित होता है. यह किडनी, त्वचा रोग, और सबसे महत्वपूर्ण ढंग से लीवर के तमाम रोगों में संजीवनी बूटी का काम करता है।
भूमि आंवला का औषधीय उपयोग तमाम तरीकों से किया जा सकता है. भूमि आंवला का चूर्ण बनाकर उसका गर्म पानी, शहद या छाछ के साथ सेवन किया जा सकता है. वहीं भूमि आंवला के समूचे पौधे को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस काढ़े को लिवर और किडनी से संबंधित समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद माना गया है. सभी से अपील है कि अपने दैनिक जीवन में घरेलू नुस्खे और आयुर्वेद को शामिल करें.
इस पौधे का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है. क्योंकि यह पौधा कुछ लोगों के लिए हानिकारक भी हो सकता है. इसलिए, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें.