कानपुर में मिर्जा ग्रुप पर आयकर विभाग की छापेमारी, 350 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी
कानपुर में देश के प्रमुख चमड़ा निर्यातक मिर्जा इंटरनेशनल ग्रुप और उसके सहयोगी कारोबारियों के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई ने अब नया मोड़ ले लिया है. पिछले 5 दिनों से चली आ रही छापेमारी में कुल 110 घंटे की जांच के दौरान 350 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. विभाग ने ग्रुप के 38 ठिकानों पर 200 से अधिक अधिकारियों की टीम तैनात की थी, जहां मुखौटा कंपनियों के जरिए बोगस खरीद-फरोख्त और लेन-देन का पर्दाफाश हुआ. 17 बैंक लॉकरों की तलाशी ली गई, जिनमें से तीन ही खुले, वहां से 15 करोड़ रुपये की ज्वेलरी और नकदी जब्त की गई.
आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई 11 सितंबर को शुरू हुई थी और उत्तर प्रदेश के कानपुर, उन्नाव, लखनऊ के अलावा दिल्ली, नोएडा, उत्तराखंड और कोलकाता जैसे शहरों में फैली थी. मिर्जा इंटरनेशनल, जो रेड टेप ब्रांड के जूतों के लिए जाना जाता है और 24 देशों में निर्यात करता है, पर टैक्स चोरी, फर्जी बिलिंग और अनअकाउंटेड लेन-देन के आरोप हैं. जांच में पाया गया कि ग्रुप ने कई शेल कंपनियों के माध्यम से कच्चे माल की खरीद के बिलों में हेराफेरी कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दुरुपयोग किया. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर फराज मिर्जा और अन्य निदेशकों से लंबी पूछताछ की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त किए गए.
350 करोड़ की टैक्स चोरी छापेमारी के दौरान उन्नाव और काशीपुर की फैक्ट्रियों में अफसरों ने टेनरी, पैकिंग यूनिट और निर्यात रिकॉर्ड्स की बारीकी से जांच की. कानपुर के जाजमऊ और मालरोड स्थित दफ्तरों में भी टीमों ने डेरा डाला. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती आंकड़ों में ही 350 करोड़ की चोरी पकड़ी गई है, लेकिन पूर्ण जांच के बाद यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. बैंक लॉकरों से बरामद ज्वेलरी और नकदी को लेकर विभाग अब स्वामित्व की जांच कर रहा है, क्योंकि ये संपत्तियां टैक्स के दायरे से बाहर रखने के लिए छिपाई गई लग रही हैं।
औद्योगिक हलकों में हड़कंप मिर्जा ग्रुप के प्रतिनिधियों ने कार्रवाई पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. स्थानीय स्तर पर इस छापे ने औद्योगिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है, खासकर चमड़ा उद्योग में जहां निर्यात पर निर्भरता अधिक है. विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान टैक्स अनुपालन को मजबूत बनाने के लिए है और आगे की जांच में और खुलासे हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामलों से न केवल राजस्व को नुकसान होता है, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है. आयकर विभाग ने अन्य संदिग्ध लेन-देन पर नजर रखने का आश्वासन दिया है.

