लखनऊ। अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रेकी करने वाले आरोपी शंकरलाल दुसाद की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। दुसाद के कनेक्शन खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू से पाए गए हैं।
अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रेकी करने वाले आरोपी शंकरलाल दुसाद को जमानत नहीं मिली है। राजस्थान के सीकर निवासी दुसाद की ओर से दायर जमानत अर्जी को लखनऊ स्थित ATS स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दिया। आरोपी पर न केवल मंदिर परिसर की रेकी करने का आरोप है, बल्कि उसके खालिस्तान समर्थक संगठनों और विदेश में बैठे कट्टरपंथियों से संबंध भी उजागर हुए हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हुआ था गिरफ्तार 19 जनवरी 2024 को ATS गोमतीनगर थाने में इस मामले की FIR दर्ज की गई थी। 17 जनवरी को सफेद स्कॉर्पियो (HR 51 BX 3753) से अपने साथियों के साथ अयोध्या पहुंचा था दुसाद। 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर वह भगवा झंडा लगी स्कॉर्पियो से मंदिर परिसर और आसपास की गतिविधियों की रेकी कर रहा था। शक होने पर ATS ने दुसाद समेत उसके साथियों अजीत शर्मा और प्रदीप पूनिया को हिरासत में ले लिया। गिरफ्तारी के बाद मंदिर परिसर और शहर की सुरक्षा और भी सख्त कर दी गई थी।
खालिस्तान समर्थकों से जुड़ा कनेक्शन पूछताछ में सामने आया कि शंकरलाल दुसाद का झुकाव लंबे समय से खालिस्तानी विचारधारा की ओर था। उसकी विदेश में रह रहे खालिस्तानी नेता लखविंदर सिंह लांडा समेत कई समर्थकों से लगातार बातचीत होती थी। वह सोशल मीडिया और कॉल्स के माध्यम से संपर्क में रहता था। जांच में यह भी सामने आया कि गुरपतवंत सिंह पन्नू की ओर से उसे मंदिर की रेकी और नक्शा भेजने के निर्देश दिए गए थे। यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद चिंताजनक साबित हुआ।
कोर्ट ने ठुकराई जमानत अर्जी ATS की दलीलों को मानते हुए स्पेशल कोर्ट ने दुसाद की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने माना कि आरोपी की गतिविधियां गंभीर प्रकृति की हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आरोपी को फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के इस फैसले से ATS को जांच को और आगे बढ़ाने में मजबूती मिली है। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अवसर था। लाखों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होने वाले थे। ऐसे में आरोपी की गतिविधियां किसी बड़े खतरे का संकेत दे रही थीं। ATS की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक संभावित साजिश को विफल कर दिया।