बिहार में चुनावी गठबंधन की जटिलता बढ़ती जा रही है। विकासशील इन्सान पार्टी (वीआईपी) के मुखेश सहनी ने एनडीए से अलग होकर एक बार फिर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का दावा किया है। उन्होंने दावा किया है कि यदि गठबंधन अगली सरकार बनाता है, तो उन्हें उप मुख्यमंत्री पद का दावा होगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गठबंधन में शामिल होने की संभावना है, जिससे सीटों का बंटवारा और भी जटिल हो जाएगा।
बिहार में इंडिया ब्लॉक में पहले से ही आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई, और सीपीआई (एम) शामिल हैं। इसके समन्वय समिति की बैठक 15 सितंबर को पटना में होगी, जिसमें सीटों के बंटवारे और अन्य चुनाव संबंधी मुद्दों का समाधान किया जाएगा। चुनावों के करीब आने के साथ नेताओं को धैर्य और सावधानी से काम करना होगा ताकि गठबंधन एकजुट रहे।
कांग्रेस के अपने विधायक असंतुष्ट
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी 52 सीटें देने के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेस के अपने विधायक असंतुष्ट हैं क्योंकि कांग्रेस ने आरजेडी के मजबूत क्षेत्रों में 20 से 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। यहां तक कि कांग्रेस के अपने बैठे विधायक भी इस स्थिति से असहमत हैं। आरजेडी के नेताओं ने भी यह आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने अभी तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने का समर्थन नहीं किया है।