Uttar Pradesh

धान की फसल में दिखें ये लक्षण तो तुरंत करें ये उपाय, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान।

धान की फसल में दिखें ये लक्षण तो तुरंत करें ये उपाय, नहीं तो हो सकता नुकसान

धान की फसल से किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं, लेकिन इसमें रोगों का प्रकोप हर साल किसानों के लिए चिंता का विषय बना रहता है. धान की खेती में खासकर ब्लास्ट (झोंका), पर्ण झुलसा (शीथ ब्लाइट), जीवाणु झुलसा, भूरा धब्बा और खैरा (सफेदा रोग) जैसे अनेक रोग लगते हैं, जो फसल को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन इन रोगों को नियंत्रण में लाना भी आसान है, लेकिन जल्दी क्योंकि समय जाने के बाद कोई उपाय काम नहीं करेगा।

श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि ब्लास्ट यानी झोंका रोग पत्तों पर नाव के आकार के भूरे धब्बे छोड़ते हैं, जिसके बीच का हिस्सा राख जैसा दिखाई देता है. यह फफूंद जनित रोग है, जो पौधे के तने, बालियां और दाने को भी प्रभावित कर सकता हैं।

धान की खेती में लगने वाले रोग और पहचान

धान की फसल में लगने वाला भूरा धब्बा रोग गोल या अंडाकार गहरे भूरे धब्बों का केंद्र पीले घेरे से घिरा होता है. सफेदा यानी खैरा रोग जो जिंक की कमी के कारण पत्तों पर पीले या सफेद धब्बे दिखाई देते हैं. पर्ण झुलसा में पत्तियों की शीथ पर भूरे धब्बों के चारों ओर हल्की बैंगनी रंग की धारियां दिखाई देने लगती हैं, जो संक्रमण का संकेत देती हैं. जीवाणु झुलसा रोग में पत्तियों के किनारों पर पीली और चिपचिपी धारी बनाने लगती हैं, जो बाद में भूरे-से सफेद होकर सूख जाती हैं।

धान की खेती में लगने वाले रोगों का समाधान

धान की खेती में ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक फफूंदनाशक शीथ ब्लाइट संक्रमण को कम करता है, साथ ही मिट्टी में स्वास्थ्यपूर्ण माइक्रोबायोम की पूर्ति करता हैं. ट्राइसाइक्लोजोल जैसी फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. हेक्साकोनाजोल का छिड़काव शीथ ब्लाइट नियंत्रण में सहायक है. खेत से पानी निकाला जाए और उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दिया जाए, जिससे संक्रमण फैलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. इससे जीवाणु झुलसा रोग से बचाव होता है।

धान की खेती में इन बातों का रखें ध्यान

धान की खेती में पौधों के बीच उचित दूरी रखें, ताकि हवा का संचार बना रहे और नमी कम हो, जिससे फफूंदों का विनाश हो सके. खेत में नियमित निगरानी करे और रोग के शुरुआती लक्षण नजर आते ही तुरंत उपचार करें. धान की फसल में कोई भी रोग का लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी कृषि विभाग से तत्काल संपर्क करना उचित है. क्योंकि अनुभव के आधार पर बाजार से दवा लेकर छिड़काव करना हानिकारक हो सकता है.

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