बाराबंकी में छोटे किसानों के लिए भिंडी की खेती एक लाभदायक विकल्प बनकर उभरी है। पहले किसान मुख्य रूप से धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने हरी सब्जियों की खेती की ओर रुख किया है। कम जमीन वाले किसानों के लिए भिंडी की खेती विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो रही है, जिसकी वजह है कम समय में अच्छी आमदनी। भिंडी की बढ़ती मांग के कारण किसानों को बाजार में अच्छे दाम मिल रहे हैं।
इस किसान ने भिंडी की खेती कर उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा हो रहा है, जिसके लिए वह कई वर्षों से भिन्डी की खेती कर रहे हैं। जनपद बाराबंकी के बड़ेल गांव के रहने वाले युवा किसान बृजेश ने अन्य फसलों से हटकर भिंडी की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला। आज वह करीब 3 बीघे में भिंडी की खेती कर रहे हैं, जिससे लगभग उन्हें 80 से 90 हजार रुपए मुनाफा एक फसल पर हो रहा है।
1 बीघे में लागत आता है 5 हजार रुपये, जिसकी खेती करने वाले किसान बृजेश ने बताया कि पहले मैं पारंपरिक खेती करता था, जिसमें मुझे कोई खास फायदा नहीं हो रहा था। हमने भिंडी की खेती की शुरुआत की, जिसमें हमें अच्छा मुनाफा देखने को मिला। आज करीब तीन बीघे में भिन्डी की खेती कर रहे हैं, जिसमें जो हमारी लागत है करीब एक बीघे में 4 से 5 हजार रुपये आती है। वही मुनाफे की बात करें तो एक फसल पर 80 से 90 हजार रुपए तक हो जाता है। भिंडी एक ऐसी सब्जी है जिसकी मंडियो में काफी ज्यादा डिमांड रहती है, जिस कारण यह अच्छे रेट में जाती है। इस फसल की खास बात यह है कि इसमें लागत कम मुनाफा कहीं अधिक है। इसको एक बार लगाने के बाद 2 से 3 महीने तक फसल मिलती रहती है।
2 महीने में आ जाता है फसल, जिसकी खेती करना काफी आसान है। पहले खेत की दो तीन बार गहरी जोताई की जाती है, उसके बाद खेत बराबर करके भिंडी के बीजों की लाइन टू लाइन खुरपी से बुवाई की जाती है। वही करीब एक हफ्ते बाद पौधा निकल आता है, इसमें पानी की सिंचाई जाती है। वहीं 2 महीने बाद फसल निकलना शुरू हो जाती है, जिसे तोड़कर हर दिन हम बाजारों में बेच सकते हैं।
इस तरह से भिंडी की खेती करने से छोटे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है। साथ ही स्थानीय बाजार में ताजी सब्जियों की उपलब्धता भी बढ़ी है।