यूपी के रायबरेली में किसान महोगनी पेड़ की खेती करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं. इसकी लकड़ी, पत्तियां और बीज सभी बाजार में महंगे दामों में बिकते हैं. महोगनी की लकड़ी का उपयोग बंदूक की बट और ठंडे प्रदेशों में लकड़ी के मकान बनाने में किया जाता है, जिससे यह किसानों के लिए बेहद लाभकारी फसल साबित हो रही है. भारत में अधिकांश आबादी खेती-किसानी पर ही निर्भर करती है. किसानों की आय का प्रमुख स्रोत खेती-किसानी ही है. ऐसे में यह खबर उनके लिए खास महत्व रखती है. हम बात कर रहे हैं महोगनी पेड़ की, जिसे खेत की मेड़ पर लगाने से किसान कुछ ही समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. महोगनी अपने कई गुणों के लिए जानी जाती है; इसकी लकड़ी और बीज दोनों ही बाजार में महंगे दामों में बिकते हैं. महोगनी एक पर्णपाती वृक्ष है और यह दक्षिण अमेरिका व डोमिनिकन गणराज्य का राष्ट्रीय वृक्ष भी है. इस पौधे की लकड़ी का उपयोग कीमती फर्नीचर, नाव निर्माण और बंदूक के बट बनाने में किया जाता है. साथ ही अत्यधिक ठंड वाले क्षेत्रों में इसके उपयोग से घर भी बनाए जाते हैं, क्योंकि महोगनी की लकड़ी 50 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन करने में सक्षम है. महोगनी के पत्तों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इन्हें अस्थमा, सर्दी, मधुमेह, कैंसर और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, इसके पत्तियों और बीज के तेल का उपयोग कीटनाशक, मच्छर भगाने वाली दवाइयां, साबुन, पेंट, वार्निश और कई अन्य उत्पाद बनाने में किया जाता है. इस वजह से महोगनी की लकड़ी और उत्पाद बाजार में काफी महंगे दामों में बिकते हैं. महोगनी की लकड़ी और पत्तियों के साथ ही इसके बीज भी काफी महंगे दामों में बिकते हैं. यह पौधा लगभग हर 5 साल में एक बार बीज देता है, और एक पौधे से करीब 5 किलो बीज प्राप्त किए जा सकते हैं. बाजार में महोगनी के बीज की कीमत लगभग 1,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है. महोगनी का पौधा रोपाई के 12 से 15 साल बाद पूरी तरह तैयार हो जाता है, और इस समय इसकी लकड़ी और उत्पाद बाजार में बेचकर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. महोगनी की लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है, जो पानी से प्रभावित नहीं होती और अत्यधिक ठंडे तापमान को सहन करने में सक्षम है. एक महोगनी के पेड़ की लकड़ी आसानी से 90,000 रुपए से लेकर 1,00,000 रुपए तक बाजार में बिक सकती है. महोगनी की लकड़ी घिसाव-प्रतिरोधी होती है, यानी इसे जोर लगने पर भी आसानी से नुकसान नहीं पहुँचता. साथ ही यह सड़न-प्रतिरोधी भी होती है, जिससे नमी या कीड़ों से सुरक्षित रहती है.
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