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मोबाइल छीनते ही गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अजीब हरकतें? हो सकता है ऑटिज्म का संकेत, जानें कैसे पहचानें और क्या करें – उत्तर प्रदेश समाचार

मोबाइल छीनते ही गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अजीब हरकतें? हो सकता है ऑटिज्म का संकेत

आजकल छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन आम बात हो गई है. कई माता-पिता अपने बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें घंटों मोबाइल पकड़ा देते हैं. लेकिन यह आदत बच्चों के मानसिक विकास के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. एक रिसर्च के अनुसार, लंबे समय तक स्क्रीन पर टिके रहने वाले बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) जैसे लक्षण उभरने का खतरा बढ़ रहा है. जिन बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल, टीवी या टैबलेट पर बीतता है, उनकी सामाजिक और व्यवहारिक क्षमताओं पर असर पड़ता है. वे दूसरों से बात करने में कतराते हैं और उनकी एकाग्रता भी कमजोर होती है.

जिला अस्पताल में तैनात मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिनव शेखर ने बताया कि आजकल के जमाने में बच्चे बचपन से ही फोन देखना शुरू कर देते हैं और फोन देखने से बच्चों की आई साइड वीक होती है. इसके साथ ही और भी बहुत सी बीमारियां भी देखने को मिलती है. पिछले 5 सालों में बच्चों में देखने को मिल रहा है. बच्चे की स्क्रीन टाइम ज्यादा हो रही है जिसकी वजह से वह ऑटिज्म बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं.

इस बीमारी से पीड़ित करीब 8 से 10 बच्चे प्रतिदिन अस्पताल में आ रहे हैं. इस प्रकार महीने में करीब 300 से अधिक का आंकड़ा पहुंच रहा है. ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चा अपने मां-बाप की बात को नहीं सुनता और फोन में ही मगन रहता है. बच्चों के माता-पिता बच्चों के नाम से पुकारते हैं, तो बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है. इसके साथ ही बच्चा इस समय में अकेले रहना पसंद करता है और अपनी उम्र के बच्चों के साथ भी नहीं रहता है. ना ही बच्चा बात करता है. इसके साथ ही वह बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाता है. साथ ही वह आपसे फोन मांगने लगता है. अगर आप मोबाइल नहीं देंगे तो वह चीजें उठाकर फेकने लगेगा. मोबाइल को तोड़ देगा.

चिड़चिड़ा हो रहा बच्चा? अभिनव शेखर ने बताया कि मेरे पास ऐसे परिजन आ रहे हैं कि मां बाप कहते हैं कि पहले यह बात आराम से सुन लेता था. अब यह बात नहीं सुनता है. बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा रहता है. बात-बात पर गुस्सा करने लगता है. किसी से बात करना पसंद नहीं करता है. फोन में ही दिमाग लगाता रहता है. स्क्रीन टाइम बढ़ता रहता है. यह सभी ऑटिज्म के लक्षण होते हैं. ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों की स्क्रीन टाइम से लेकर आदतें खराब करता है. अगर आपके बच्चे की स्क्रीन टाइम बंद करनी है, तो उसको चिकित्सक से सलाह लेकर स्क्रीन टाइम करें जिससे उसकी ऑटिज्म की बीमारी भी कम होने लगेगी. इससे बच्चा फोन कम चलाएगा. ऑटिज्म के प्रतिदिन 5 से 6 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. इसके साथ ही महीने में यह आंकड़ा 300 के करीब पहुंच रहा है.

ऑटिज्म वाले बच्चों को फोन की लत से छुड़ाने के लिए धैर्य रखें, धीरे-धीरे स्क्रीन टाइम कम करें, और उन्हें किताबों, खिलौनों व बाहरी खेलों में व्यस्त रखें. माता-पिता को खुद भी फोन का इस्तेमाल कम करना चाहिए और बच्चों के साथ बातचीत व पारिवारिक गतिविधियों में समय बिताना चाहिए. सकारात्मक माहौल बनाने और बच्चों से खुलकर बात करने से भी मदद मिल सकती है.

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