फर्रुखाबाद में बाढ़ से 2 लाख की आबादी प्रभावित, 250 स्कूलों में पढ़ाई ठप
फर्रुखाबाद में गंगा और रामगंगा का जलस्तर कम होने से ग्रामीणों को उम्मीद जगी है कि अब बाढ़ से निजात मिल सकेगी. लेकिन एक लाख से ज्यादा पानी छोड़े जाने से ग्रामीण भयभीत है. बाढ़ ने जिले की करीब 2.25 लाख की आबादी को प्रभावित किया है, जिससे 250 स्कूलों में शिक्षण कार्य पर असर पड़ा है. इसके अलावा, पांच सौ से अधिक गांवों की बिजली 10 दिन से बंद है, जिससे ग्रामीण उमस भरी गर्मी में बीमार हो रहे हैं.
गंगा का जलस्तर प्रतिदिन बढ़ रहा है. ग्राम पंखियन की मढैया में गंगा के बाढ़ का पानी भर गया है और घरों में भी पानी घुस गया है. गंगा लगातार कटान कर रही है, जिससे ग्रामीण भयभीत हैं. बीते दिनों गंगा की धार की चपेट में आने से मदरसा और मौलाना के मकान कट चुके है. पड़ोसी का मकान भी गंगा की धार में लटक रहा है और कभी भी बाढ़ की चपेट में आकर गंगा में समा सकता है।
ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. सिंचाई विभाग ने कटान को रोकने के लिए बालू भरी बोरियां लगाई है. पूरे गांव को बाढ़ के पानी ने घेर रखा है और चारों तरफ पानी ही नजर आता है. गांव को मुख्यालय से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता भी पानी से ढका हुआ है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि अगर गंगा का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो मुख्यालय से संपर्क टूट जाएगा।
कटान की चपेट में आए कई घरों के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि गांव में गंगा के कटान के कारण स्थिति बहुत खराब है. प्रशासन ने पिछले वर्ष कटान रोकने के लिए जो बंद लगाया था, वह भी कटान की चपेट में आ गया है. मदरसे के साथ तीन अन्य मकान भी गंगा की धार में समा चुके हैं. गंगा का कटान लगातार जारी है. अधिकारियों द्वारा स्थिति का जायजा लेने के बाद भी कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
एकमात्र रास्ता भी पानी में डूबा हुआ है. जल निगम की टीम गांव में आई हुई है और बाढ़ का पानी भरा हुआ है. गांव की करीब 3000 लोगों की आबादी है. खाने-पीने की समस्या को लेकर बताया गया कि जिन घरों में पानी भरा है, वे लोग ऊंचाई पर बने दूसरे घरों में शिफ्ट हो गए हैं. कुछ लोग टीलों पर रह रहे है. गांव से मुख्यालय आने-जाने का एकमात्र रास्ता भी पानी में डूबा हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि हमारे घरों में राशन नहीं है और कई दिनों से बाढ़ का पानी घर में भरा हुआ है. खाने-पीने की समस्या सबसे बड़ी है और हम लोग इधर-उधर से खाने-पीने का सामान जुटा रहे हैं.