Uttar Pradesh

UP Election2022 Swami Prasad Maurya News Leaving BJP not a profitable deal for the many leaders in Uttar Pradesh



लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) और दारा सिंह चौहान ने बीजेपी (BJP News) का साथ छोड़ दिया है. उत्तर प्रदेश (UP Elections) के इन नेताओं का बीजेपी छोड़ना गेम चेंजर साबित होगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, मगर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एक जाति विशेष और उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा नाम होने की वजह से स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के बीजेपी छोड़ने से पार्टी को खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
ऐसा पहली बार नहीं है कि बीजेपी से कोई बड़े और रसूखदार नेताओं ने पार्टी छोड़ी है. पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है, लेकिन इनके छोड़ने से पार्टी को नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि नुकसान खुद उस नेता को हो जाता है, जिसने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है. ऐसे में अब कुछ नेताओं का जिक्र लाजिमी है, जिन्होंने चुनाव और अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से बीजेपी छोड़ी, लेकिन उनका सियासी भविष्य ही दांव पर लग गया.
सावित्री भाई फुले: बहराइच से एक बीजेपी सांसद थीं सावित्रीबाई फूले. 2014 में सावित्री बाई फुले बहराइच से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ीं और 4 लाख वोट पाकर भाजपा से सांसद बनीं. लेकिन 2019 लोकसभा से पहले इन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस ज्वाइन कर ली. 2019 लोकसभा वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ीं, परिणाम चौंकाने वाला था.  सावित्री बाई फुले को केवल 34 हज़ार वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई.
श्यामाचरण गुप्त: श्यामाचरण गुप्त बीजेपी के बड़े नेता थे. 2014 से 2019 तक इलाहाबाद से बीजेपी के सांसद थे, लेकिन 16 मार्च 2019 को श्यामाचरण गुप्ता एसपी में शामिल हुए और बांदा से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन समाजवादी पार्टी से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
राम चरित्र निषाद: रामचरित्र निषाद 2014 से 2019 कार्यकाल में बीजेपी के मछलीशहर से सांसद थे. कहा जाता था कि निषाद जाति के बड़े नेता हैं और निषाद समाज मे उनकी अच्छी पैठ है. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राम चरित्र निषाद ने बीजेपी का साथ छोड़ा और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. मछलीशहर से चुनाव लड़े, लेकिन बीजेपी से अलग होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
हालांकि ऐसे नेताओं की लिस्ट लंबी है. यशवंत सिन्हा, शत्रुघन सिन्हा, अरुण शौरी, ये उन नेताओं में शुमार होते हैं, जिनका बीजेपी में अपना रसूख था. अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में बड़े मंत्री पद पर थे, लेकिन बीजेपी का साथ छोड़ा और आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान के अभाव में है. मामला यहीं तक नहीं रुका है. ऐसे नेताओ की एक लिस्ट यह भी है कि जिन्होंने बीजेपी का साथ छोड़कर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे फिर उन्हें अपनी पुरानी पार्टी यानी बीजेपी में शामिल होना पड़ा.

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