Uttar Pradesh

चकरा जाएगा विज्ञान…बिना IVF भर जाती है सूनी गोद, बच्चे की गारंटी है यहां तीन बार डुबकी

Last Updated:August 23, 2025, 21:28 ISTVaranasi News : 9वीं सदी में यहां गढ़वाल के राजा को भी उत्तराधिकारी मिला था. यहां भगवान सूर्य ने हजारों साल तपस्या की. ये जगह जादुई है. चमत्कार पर यकीन न करने वाले भी इसके मुरीद हो जाएंगे.वाराणसी. दुनिया में कई चीजें ऐसी भी हैं जिन पर विश्वास करना मुश्किल है. लेकिन जब सच सामने हो तो चमत्कार पर भी विश्वास करना पड़ता है. भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी में एक ऐसा ही अनोखी और चमत्कारिक जगह है. इसे लोलार्क कुंड कहते हैं. इस कुंड से जुड़ी कुछ ऐसी कहानी है जिसके कारण दूर-दूर से लोग यहां खींचे चले आते हैं. यह कुंड 21 वीं सदी के इस आधुनिक दौर में विज्ञान को भी आइना दिखाता है. कई लोग अपनी सूने गोद को भरने के लिए IVF जैसी एडवांस तकनीक का सहारा लेते हैं. कहते हैं कि ऐसे समय में इस कुंड में खास तरीके से स्नान करने से नि:संतान माताओं की गोद सहज ही भर जाती है. इसके कई उदाहरण हैं.

सैकड़ों साल पुराना

काशी के केदार खंड में तुलसी घाट के करीब लोलार्क कुंड है. यह कुंड सैकड़ों साल पुराना है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां सूर्य की किरणें सबसे पहले पड़ती हैं. गढ़वाल के राजा को भी 9वीं सदी में यहां स्नान से संतान की प्राप्ति हुई थी. धार्मिक मान्यता है कि यहां भगवान सूर्य ने हजारों साल तपस्या की थी. लोलार्क कुंड के पुजारी शशि भूषण उपाध्याय ने बताया कि इस कुंड का जल बेहद ही चमत्कारिक है. यहां स्नान मात्र से ही नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. स्कन्द पुराण के साथ ही काशी खंड के 46 वें अध्याय में इसका विस्तृत उल्लेख मिलता है. साल में एक दिन लोलार्क छठ पर यहां विशेष ऊर्जा होती है, जिसके फलस्वरूप माताओं की गोद में किलकारियां गूंजने लगती हैं.

द्वादश आदित्य में शुमार
यह स्नान काशी के द्वादश आदित्य में से एक है. यहां लोलार्क कुंड के अलावा लोककेश्वर महादेव का मंदिर भी है. जहां सूर्य शिवलिंग स्वरूप में विराजमान है. लोलार्क छठ यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यहां विशेष उर्जा का संचरण होता है. इससे निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. इसके ढेरो उदाहरण हैं. यही वजह है कि इस खास तिथि पर यहां लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है.ये है स्नान की विधियहां स्नान के लिए शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं. इस कुंड में नि:संतान दंपति को एक साथ हाथ पकड़कर तीन बार डुबकी लगानी चाहिए. इए दौरान उन्हें भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए. स्नान के बाद एक फल कुंड में दान करना चाहिए. इस फल को मन्नत पूरी होने तक दंपति को ग्रहण नहीं करना चाहिए. यहां कम से कम तीन बार स्नान करने से संतान सुख मिल जाता है.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Varanasi,Uttar PradeshFirst Published :August 23, 2025, 21:28 ISThomedharmविज्ञान भी हैरान…बिना IVF भर जाती है सूनी गोद, यहां डुबकी बच्चे की गारंटी

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