अंग्रेजों को झुकना पड़ा बाबा जाहरवीर की शक्ति के आगे, सहारनपुर का मेला बना आस्था- चमत्कार की पहचान

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Last Updated:August 22, 2025, 22:46 IST
अंग्रेज कलेक्टर ने एक दिन का भरा जाने वाला यह मेल बंद करने का आदेश दिया और उसी रात हर स्थान पर उनको सांपों ने परेशान करना शुरू किया. अपनी जान बचाकर अंग्रेज कलेक्टर बाबा के दरबार पहुंचे. वहां पर मत्था टेक कर अ…और पढ़ेंसहारनपुर जनपद का हर एक हिस्सा हिंदू धर्म की धार्मिकता का इतिहास लिखना है. सहारनपुर में विभिन्न देवी देवताओं के ऐसे मंदिर है जहां पर कई प्रदेशों से लोग दर्शन करने आते हैं और उनके अद्भुत चमत्कार भी देखने को मिलते हैं. लेकिन आज हम आपको उस समय की बात बताने जा रहे हैं जब अंग्रेजों का शासन काल चल रहा था और हिंदू धर्म के प्रचार के लिए खड़े हुए बाबा जाहरवीर महाराज के मेले को अंग्रेजों के द्वारा जब बंद करने का ऐलान किया गया तब बाबा जाहरवीर की शक्तियों का कहर अंग्रेजों पर पड़ा था.

अंग्रेज कलेक्टर ने एक दिन का भरने वाला यह मेल बंद करने का आदेश दिया और उसी रात हर स्थान पर उनको सांपों ने परेशान करना शुरू किया. अपनी जान बचाकर अंग्रेज कलेक्टर बाबा जाहरवीर के दरबार पहुंचे और वहां पर मत्था टेक कर अपनी गलतियों को माना तब जाकर बाबा ने उनको क्षमा किया उसके बाद अंग्रेज कलेक्टर ने बाबा की शक्तियों के चमत्कार को देख कर एक दिन का भरने वाला सहारनपुर का मेला 3 दिन का कर दिया और आज तक यह तीन दिन का भरता चला आ रहा है.

मेला बंद करने पर सांपों से भर गया था अंग्रेज कलेक्टर का घर
यह मेल लगभग 1860 में ब्रिटिश शासन काल था. उस समय जो यहां के कलेक्टर थे. उन्होंने इस मेले को बंद कराने का प्रयास किया था. यह मेल एक दिन का भरा करता था. जब इस मेले को बंद किया गया तो बाबा ने अपना चमत्कार दिखाया अपनी शक्तियां दिखाई. उस समय के डीएम जी ने कलेक्टर कहा जाता था. वह जब मेल बंद कराने के बाद सोने के लिए गए तो उनके बिस्तर में सांप, छत पर देखा तो छत पर भी सांप, खाना खाने बैठे तो उसमें भी सांप तब उन्हें एहसास हुआ कि जाहरवीर महाराज एक बड़ी शक्ति है.

इस बड़े मेले पर अंग्रेजों ने लगाई थी लगामअगले ही दिन अपने परिवार के साथ बाबा जाहरवीर के स्थान पर माथा टेका, प्रसाद चढ़ाया और समय याचना की. फिर उसके बाद जो एक दिवसीय मेला था. उसको बढाकर उन्होंने तीन दिन का कर दिया. जब से ही यह मेला आज तक तीन दिन का भरता चला आ रहा है. नवमी की रात 12:00 से म्हाड़ी पर प्रसाद चढ़ाना शुरू हो जाता है फिर दशमी और एकादशी को छड़िया दो दिन, दो रात वहाँ पर रहती है. तीसरे दिन सुबह 10:00 छड़िया वापस अपने स्थान पर प्रस्थान करने के लिए चल देती है.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Saharanpur,Saharanpur,Uttar PradeshFirst Published :August 22, 2025, 22:46 ISThomeuttar-pradeshअंग्रेजों ने बाबा जाहरवीर के मेले पर लगाई रोक, चमत्कार के आगे टेकने पड़े घुटने

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