Last Updated:August 21, 2025, 17:15 ISTUS Tariff On India : अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहने वाले उत्तर प्रदेश के निर्यातक अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं. ट्रंप शासन के दौरान बढ़े टैरिफ विवाद के बाद व्यापारियों ने यूरोप और अफ्रीका के नए बाजारों की ओर रुख कि…और पढ़ेंकानपुर : अमेरिकी बाजार पर लंबे समय से निर्भर उत्तर प्रदेश के निर्यातक अब अपनी दिशा बदल रहे हैं. ट्रंप शासन के दौरान अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 % तक टैरिफ बढ़ा दिए हैं. इससे यूपी के कारपेट, हैंडीक्राफ्ट, लेदर और स्पोर्ट्स गुड्स निर्यातकों को बड़ा झटका लगा. अब व्यापारी पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर रहने की बजाय यूरोप और अफ्रीका के नए बाजारों में संभावनाएं तलाश रहे हैं. उनका मानना है कि अमेरिका में नीतियां अक्सर बदलती रहती हैं और वहां टैरिफ बढ़ने या नए नियम लागू होने से कारोबार पर सीधा असर पड़ता है. इसलिए अब व्यापारी उन जगहों की तलाश में हैं जहां लंबे समय तक स्थिर व्यापार किया जा सके और भारतीय सामान की लगातार मांग बनी रहे. यूरोप और अफ्रीका इस लिहाज से सबसे बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं.
कानपुर का चमड़ा उद्योग, बनारस की साड़ी और टेक्सटाइल, आगरा के जूता कारोबारी और मुरादाबाद का पीतल उद्योग अब जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड्स और इटली जैसे यूरोपीय देशों में तेजी से अपने बाजार बना रहे हैं. यहां भारतीय उत्पादों को उच्च गुणवत्ता और परंपरागत डिज़ाइन की वजह से पसंद किया जाता है. यूरोप में खासतौर पर टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट और लेदर गुड्स की लगातार मांग रहती है. कई कंपनियों ने यहां पर स्थायी ग्राहक भी बना लिए हैं. यूरोपीय बाजार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार अगर कोई ब्रांड यहां स्थापित हो जाता है तो उसे लंबे समय तक कारोबार मिलता है.
अफ्रीका में बढ़ रही भारतीय पकड़
अफ्रीका को लेकर निर्यातक और भी ज्यादा आशावान हैं. नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, केन्या और घाना जैसे देशों में तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग भारतीय उत्पादों के लिए बड़ी संभावनाएं पैदा कर रहा है. यहां भारतीय लेदर गुड्स, रेडीमेड गारमेंट्स, मशीनरी और घरेलू सामान की मांग बढ़ रही है. अफ्रीका की बड़ी आबादी भारत से आने वाले सस्ते और टिकाऊ सामान को आसानी से स्वीकार कर रही है. यही वजह है कि यूपी के कारोबारी अब अफ्रीकी देशों में अपनी पैठ बनाने पर विशेष जोर दे रहे हैं.
सरकार को इन बातों पर देना होगा ध्यानफेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन(FIEO) के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि आने वाले समय में यूरोप और अफ्रीका भारत के लिए सबसे बड़े और स्थायी बाजार साबित होंगे. यूरोप पहले से ही हमारे लिए भरोसेमंद क्षेत्र है जहां गुणवत्ता और डिज़ाइन की सराहना होती है, वहीं अफ्रीका तेजी से उभर रहा है और वहां हमारी पकड़ मजबूत हो सकती है. अगर निर्यातक क्वालिटी और समय पर डिलीवरी पर ध्यान देंगे तो उन्हें लंबे समय तक फायदा होगा. सरकार अगर शिपिंग लागत कम करे और व्यापार समझौतों को सरल बनाए तो भारत अगले पांच वर्षों में इन बाजारों में दोगुना निर्यात कर सकता है.
उम्मीदें ज्यादा लेकिन चुनौतियां भी कम नहींवहीं व्यापारियों का कहना है कि यूरोप और अफ्रीका में संभावनाएं तो बहुत हैं लेकिन इसके लिए सरकारी मदद जरूरी है. निर्यातकों को पैकेजिंग, इंटरनेशनल स्टैंडर्ड और लॉजिस्टिक की चुनौतियों से जूझना पड़ता है. शिपिंग खर्च बढ़ने से सामान की कीमत भी ज्यादा हो जाती है. अगर सरकार लॉजिस्टिक कॉरिडोर को मजबूत बनाए और नए व्यापार समझौते करे तो भारत इन क्षेत्रों में आसानी से बड़ी हिस्सेदारी ले सकता है.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Kanpur Nagar,Uttar PradeshFirst Published :August 21, 2025, 17:15 ISThomeuttar-pradeshअमेरिकी टैरिफ के बीच ये महाद्वीप बनेगा यूपी के निर्यातकों के लिए स्वर्ग…