यूपी में यहां है महाभारत कालीन वट वृक्ष, जहां पांडव चराते थे गायें, आज भी पूरी होती हैं मुराद

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Last Updated:August 21, 2025, 14:21 ISTमहाभारत कालीन वट वृक्ष की देखरेख प्रशासन की निगरानी में की जाती है. लोकल 18 से बात करते हुए वहां के पुजारी ने बताया कि यह वृक्ष बहुत ही पुराना है और पांडव यहां आकर अपना तीर धनुष रखकर गाय चराते थे.मऊ जनपद के मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर रानीपुर ब्लाक क्षेत्र के कसारी गांव के पास स्थित तमसा नदी तट पर महाभारत कालीन पौराणिक विशाल वट वृक्ष का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. स्थानीय लोग बताते है कि पांडवों ने अपनी 1 साल के अज्ञातवास का समय राजा विराट के महल विराटपुरी में नाम बदलकर गुजारा था, जो वर्तमान में सदर तहसील क्षेत्र के वैराटपुर के नाम से जाना जाता है. अज्ञातवास के दौरान पांडव राजा विराट के महल से गायों को लेकर आते थे और इस वट वृक्ष के नीचे बैठते थे. इसी कारण इस वट वृक्ष के पास तमसा नदी पर स्थित घाट को गायघाट के नाम से जाना जाता है.

महाभारत कालीन वट वृक्ष की देखरेख प्रशासन की निगरानी में की जाती है. लोकल 18 से बात करते हुए वहां के पुजारी ने बताया कि यह वृक्ष बहुत ही पुराना है और पांडव यहां आकर अपना तीर धनुष रखकर गाय चराते थे. अज्ञातवास के दौरान भी वे इस वट वृक्ष के नीचे रहते थे, जिससे घाट का नाम गायघाट पड़ा. इसी वट वृक्ष के नीचे करियावा बाबा तपस्या करते थे और बगल के मंदिर में जिंदा समाधि ले ली थी. आज भी उनके तपस्या स्थल को श्रद्धालुओं द्वारा पूजा जाता है.

इस वट वृक्ष और करियावा मंदिर पर सच्चे मन से तपस्या करने और मन्नत मांगने पर लोगों की मुरादें पूरी होती है. यहां दूर-दराज से लोग पूजा करने आते है. यह वट वृक्ष काफी चौड़ा और लंबा है तथा सदियों पुराना होने के बावजूद पूरी तरह से हरा भरा है. इसके ऊपर से निकलने वाली जड़ें जमीन तक पहुंच चुकी है. आसपास के गांवों से लोग इस स्थान पर पहुंचते हैं और सच्चे मन से पूजा-पाठ करते है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Mau,Uttar PradeshFirst Published :August 21, 2025, 14:21 ISThomeuttar-pradeshयूपी में यहां है महाभारत कालीन वट वृक्ष, जहां पांडव चराते थे गायें

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