Last Updated:August 19, 2025, 20:33 ISTPilibhit News: मंदिर के महंत नवीन पांडे बताते हैं कि सोमवार का दिन गोलू देवता को समर्पित होता है. इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं या समस्याएं एक कागज़ पर लिखते हैं. जिसे अर्जी कहा जाता है. फिर उसे मंदिर परिसर …और पढ़ेंवैसे तो प्रमुख रूप से गोलू देवता में पर्वतीय समाज के लोगों की आस्था होती है. मगर कलयुग में लगातार बढ़ रहे अन्याय के बीच सभी लोगों के मन में न्याय के देवता कहे जाने वाले गोलू देवता में विश्वास बढ़ता जा रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस दरबार में अर्जी लगा देने मात्र से ही व्यक्ति को त्वरित न्याय मिलता है. गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के प्रसिद्ध चितई गोलू देवता मंदिर से प्रेरित होकर, कुछ साल पहले पर्वतीय समाज के लोगों ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में भी इसी आस्था से यह मंदिर बनवाया.
यह मंदिर पीलीभीत शहर के नकटादाना चौराहे के पास साईं धाम मंदिर के ठीक सामने स्थित है. मंदिर के महंत नवीन पांडे बताते हैं कि सोमवार का दिन गोलू देवता को समर्पित होता है. इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं या समस्याएं एक कागज़ पर लिखते हैं. जिसे अर्जी कहा जाता है. फिर उसे मंदिर परिसर में मौजूद मसान देवता को उड़द की दाल की खिचड़ी अर्पित कर, गोलू देवता के सामने रखा जाता है. मान्यता है कि इस तरीके से अर्जी लगाने से न्याय मिलता है और मुश्किलें दूर हो जाती हैं.
भगवान शिवजी के अवतार का ये दरबारगोलू देवता के मंदिर में घंटी चढ़ाने की एक और खास परंपरा है. जब किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है या न्याय मिल जाता है, तो वह श्रद्धा से मंदिर में आकर घंटा चढ़ाता है. यहां भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार कोई भी चीज़ अर्पित कर सकते हैं, इसमें कोई बंधन नहीं है. इस मंदिर में आने वाले ज़्यादातर लोग उत्तराखंड और आसपास के पर्वतीय समाज से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन अब यहां दूर-दराज से भी लोग पहुंचने लगे हैं. यह स्थान सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि लोगों की आस्था का वो ठिकाना बन चुका है. जहां उन्हें भरोसा है कि उनकी बात सुनी जाएगी और न्याय ज़रूर मिलेगा.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Pilibhit,Uttar PradeshFirst Published :August 19, 2025, 20:33 ISThomedharmपीलीभीत में भी गूंज रहा है न्याय के देवता गोलू देवता का दरबार, जानें मान्यता