Last Updated:August 18, 2025, 21:02 ISTVaranasi Latest News: काशी के मणिकर्णिका घाट से एक नाविक की वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल वीडियो में नाविक बता रहा है कि किन 5 लोगों की लाश को काशी पर नहीं जलाया जाता है. काशी के कई श्मशान घाट ऐसे हैं, जहां चिता चौबीसों घंटे जलती रहती है. वाराणसी. कहते हैं काशी में अगर किसी की मृत्यु हो या यहां अंतिम संस्कार किया जाए, तो आत्मा को मोक्ष मिलता है और दोबारा जन्म नहीं होता है. इसी वजह से अपने आखिरी समय में लोग या तो काशी में आकर रहते हैं और अपना जीवन त्याग देते हैं या फिर यहां पर उनका अंतिम संस्कार किया जाता है. काशी में कई ऐसे श्मशान घाट है जहां राख ठंडी नहीं होती, 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं. मगर मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र यह दो ऐसे घाट हैं जिन्हें श्मशान घाटों में सबसे पवित्र माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है यहां सभी शवों को नहीं जलाया जाता है. आइए जानते हैं किन शवों को यहां के श्मशान घाटों से वापस लौटा दिया जाता है.
पांच शव जिन्हें काशी की धरती पर जलाने की अनुमति नहीं है. हालांकि इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं तो है हीं, साथ ही वैज्ञानिक कारण भी बताया जाता है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में एक नाविक गंगा के बीचोंबीच है, जो श्र्धालुओं को बता रहा है कि किन पांच लोगों की लाश को काशी में अग्नि नहीं दी जाती है. वीडियो तेजी से वायरल हो रही है. आइए जानते हैं नाविक ने क्या कहा.
1. सांप के काटने से जिसकी मौत होती है, उसका काशी में अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से माना जाता है कि सांप के काटने पर अगर किसी की मौत होती है तो 21 दिनों तक शरीर के मस्तिष्क में थोड़ी ऑक्सीजन की मात्रा बने रहने की संभावना होती है. इसलिए ऐसे शवों को जलाया नहीं जाता बल्कि केले के तने में बांधकर गंगा में प्रभावित कर दिया जाता है. मान्यता है कि ऐसे मृतक शरीर को वैद्य या तकनीशियन जीवित कर सकता है.
2. अगर 12 साल से कम उम्र के किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो उसको काशी में नहीं जलाया जाता है. छोटे बच्चों को विशेष विधि से जमीन में दफना दिया जाता है. बच्चों को ईश्वर का रूप माना जाता है, इसलिए उन्हें जलाने पर रोक है.
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3. गर्वभति महिला की अगर मृत्यु हो जाती है, तो उसे भी काशी में जलाने पर पाबंदी है और शव को वापस लौटा दिया जाता है. नाविक ने बताया प्रेग्नेंट महिला का पेट फूला होता है और अगर उसके शव को जलाया ओ उसका पेट फट जाएगा, जिससे अंदर पल रहा बच्चा बाहर आ जाएगा और वह अधजला रह सकता है. इसके पीछे का एक यह भी कारण है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को जलाया नहीं जाता.
4. काशी में संत महात्माओं के शवों को जलाना भी अशुभ माना जाता है. इनके शवों को या तो जमीन में दफनाया (थल समाधी) जाता है. या तो गंगा में प्रवाहित (जल समाधी) किया जाता है.
5. किसी की मृत्यु हुई है और उसे अगर चर्म रोग है तो उसके शव को भी काशी में नहीं जलाने दिया जाता है.Abhijeet Chauhanन्यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.न्यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि. न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Varanasi,Varanasi,Uttar PradeshFirst Published :August 18, 2025, 21:02 ISThomeuttar-pradeshकाशी के श्मशान पर नहीं जलाई जाती ये 5 लाशें, घाट से लौट जाता है मुर्दा