बीमारी जितनी कॉमन होती जाती है, उसे लेकर मिथक भी बढ़ते जाते हैं. यहां हम बात कर रहे हैं, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की जिसे गंदा फैट भी कहा जाता है. इसका हाई लेवल खून की नलियों में रुकावट का कारण जो हार्ट अटैक के खतरे से जुड़ा है. ऐसे में इसके रिस्क फैक्टर और बचाव को लेकर कहीं ये सुनने को मिलता है कि सभी फैट्स से बचना सेहतमंद है, कहीं यह माना जाता है कि सिर्फ मोटापे वाले ही कोलेस्ट्रॉल से परेशान होते हैं. लेकिन इस बीच लोग LP(a) की भूमिका को भूल ही जाते हैं.
वास्तविकता एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से कहीं अधिक खतरनाक है. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिमित्री यारानोव ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में Lp(a)से जुड़ी 8 आम मिथकों का सच उजागर किया है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं. लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर है क्या यह Lp(a)?
Lp(a) क्या है?
Lp(a) या लिपोप्रोटीन-ए एक जीन-नियंत्रित कोलेस्ट्रॉल अवयव है जो संरचना में LDL कोलेस्ट्रॉल से मिलता-जुलता होता है, लेकिन इसमें Apo(a) नामक अतिरिक्त प्रोटीन भी होता है. यह प्लाक, सूजन और खून जमाव को बढ़ावा देता है, जिससे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. खास बात यह है कि Lp(a) का स्तर लगभग पूरी तरह से आनुवांशिक होता है. यह जीवन भर स्थिर रहता है और जीवनशैली से बदलता नहीं.
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हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने बताया 8 मिथकों का सच
मिथक- केवल हाई‑रिस्क वाले लोग को टेस्ट कराना पड़ता है.सच- हेल्दी और युवा व्यक्ति में भी Lp(a) अधिक हो सकता है. हर किसी को एक बार टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
मिथक- Lp(a) ही LDL कोलेस्ट्रॉल है.सच- नहीं, इसमें अतिरिक्त प्रोटीन Apo(a) होने के कारण यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से अधिक खतरनाक होता है.
मिथक- डाइट और एक्सरसाइज से इसे कम कर सकते हैं.सच- ये दावा लगभग नामुमकिन है, जीवनशैली में सुधार से दिल की पूरी सेहत में सुधार होता है, लेकिन Lp(a) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. क्योंकि ये जेनेटिक होता है.
मिथक- सभी लैब टेस्ट एक जैसे होते हैं.सच- ऐसा नहीं है. अलग-अलग लैब, अलग- अलग यूनिट और मेथड का उपयोग करते हैं. इसलिए परिणाम तुलना योग्य नहीं होते.
मिथक – यह एक साबित जोखिम कारक नहीं हैसच- ऐसा मानना गलत है. हाई उच्च Lp(a) सीधे प्लाक निर्माण और एओर्टिक वाल्व डिजीज का कारण बनता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.
मिथक- Lp(a) लेवल बदलते रहता है.सच- इसमें कोई सच्चाई नहीं है. यह बचपन के बाद जीवन भर स्थिर रहता है. अगर यह एक बार हाई हो गया तो यह बेहतर के लिए होता है.
मिथक- इससे बचाव के लिए कुछ नहीं कर सकते.सच- फिलहाल कोई व्यापक उपलब्ध दवा नहीं है, लेकिन नए और ताकतवर इलाज परीक्षण के अंतिम चरण में हैं.
मिथक- यह सिर्फ उम्र बढ़ने पर मायने रखता है.सच- बिल्कुल गलत. हाई Lp(a) युवा अवस्था से ही हार्ट डिजीज को तेज कर सकता है. इसलिए अपना LP(a) नंबर पता होना जरूरी है. ताकि समय पर हार्ट हेल्थ के लिए जरूरी सुधार किए जा सके.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.