पपीते के पत्ते हो रहे हैं पीले? तुरंत बरतें सावधानी, नहीं तो बर्बाद हो सकती है पूरी फसल

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Last Updated:August 17, 2025, 22:31 ISTकृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ए के सिंह ने लोकल 18 से बताया कि पपीते में वायरल लीफ कर्ल रोग के लक्षण विशेष रूप से पत्तियों पर प्रकट होते हैं. इसरोग से प्रभावित पत्तियां छोटी और मुड़ी हुई दिखाई देती हैं. इसके साथ ही उनकी शिराओं में विकृति और पीलापन आ जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र सुलतानपुर में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ए के सिंह ने लोकल 18 से बताया कि पपीते में वायरल लीफ कर्ल रोग के लक्षण विशेष रूप से पत्तियों पर प्रकट होते हैं. इसरोग से प्रभावित पत्तियां छोटी और मुड़ी हुई दिखाई देती हैं. इसके साथ ही उनकी शिराओं में विकृति और पीलापन आ जाता है. डॉ एके सिंह ने आगे बताया कि इस संक्रमण के बाद, पपीते की पत्तियां उल्टे कप की तरह नीचे की ओर झुक जाती हैं, जिसके कारण फूलों का उत्पादन कम हो जाता है और पौधों की वृद्धि रुक जाती है. पपीते के बागों में पत्ती मोड़ने की बीमारी का प्रसार सफेद मक्खी बेमिसिया तबाकाई द्वारा होता है. कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, पपीते के पौधों में फंगल जड़ सड़न रोग की उपस्थिति के कारण पत्तियां धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, मुरझा जाती हैं और समय से पहले जमीन पर गिर जाती हैं. इसके अलावा, प्रभावित पौधे व्यवहार्य फल पैदा करने में असमर्थ होते हैं, और जो पौधे उगते हैं वे विकसित होने से पहले ही गिर जाते हैं और पौधे की उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है. पत्तियों के पीला होने की एक वजह जड़ सड़न रोग भी है क्योंकि यह काफी विनाशकारी रोग है. जड़ सड़न रोग तेजी से पौधों को नष्ट कर देता है क्योंकि उनकी जड़ें सड़ने लगती हैं. डॉ एके सिंह बताते हैं कि किसानों को अगर बागों में जड़ गलन की समस्या दिखाई दे रही है तो वे अविलंब हेक्साकोनाजोल नामक दवाई का 2 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी के साथ घोलकर पपीते के पौधे व जड़ो के आसपास मौजूद मिट्टी पर छिड़काव करें. अगर किसानों ने एक बार इस दवा का छिड़काव पपीते के पौधे में कर दिया है तो किसान इस छिड़काव को आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद भी दोहराएं. वे रोपण के एक महीने बाद से मासिक अंतराल पर पौधों पर हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करके और जड़ों के आसपास की मिट्टी का उपचार करके पपीते को इस बीमारी से बचा सकते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपका पपीते की पत्तियां का रंग पीला होने से बच्चे तो आप इस दवा से पौधों को अच्छी तरह से गीला करें. इसके साथ ही इस छिड़काव क्रम को पहले महीने से आठवें महीने तक जारी रखें. कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को लीफ कर्ल वायरस रोग के लक्षण दिखने पर एक ग्राम एक्टारा 25 डब्लूजी दवा को 2 लीटर पानी में मिलाकर अपने बगीचों में छिड़काव करने की सलाह दी है.इस दवा का छिड़काव करने से पत्ती के मुड़ने की समस्या तुरंत कम होने लगती है और पत्ती में होने वाले पीलेपन से भी छुटकारा मिल जाता है.First Published :August 17, 2025, 22:31 ISThomeagricultureपपीते के पत्ते हो रहे हैं पीले? तुरंत बरतें सावधानी,नहीं तो बर्बाद हो सकती फसल

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