गर्भावस्था के दौरान एक महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है, जिसके कारण कई ऐसे लक्षण भी नजर आते हैं जो गंभीर लगते हैं, लेकिन होते नहीं है. प्रेग्नेंसी के सबसे आम लक्षणों में मतली और उल्टी मुख्य रूप से शामिल है. अधिकतर महिलाओं को यह शुरुआती महीनों में होता है और दूसरे तिमाही तक ठीक भी हो जाता है.
लेकिन कुछ महिलाओं को यह समस्या गंभीर रूप से और लंबे समय तक झेलनी पड़ती है. हर दिन उल्टी होना न केवल थकाने वाला होता है, बल्कि डराने वाला भी हो सकता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कितनी उल्टी होना नॉर्मल है और कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?
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ज्यादातर महिलाओं को होती है उल्टी की समस्या
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. माया पी. एल. गड़े ने ओनली माय हेल्थ से बातचीत में बताया कि लगभग 70-80% गर्भवती महिलाओं को उल्टी या मतली की समस्या होती है. आमतौर पर यह पहली तिमाही में होती है और धीरे-धीरे कम हो जाती है. हालांकि, 2 से 5% महिलाओं ऐसी भी होती हैं जिन्हें ये समस्या गंभीर रूप में होती है, जिसे हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कहा जाता है. यह कंडीशन बाद के महीनों तक भी बनी रह सकती है जिसे मैनेज करने के लिए डॉक्टर से परामर्श की जरूरत होती है.
किन महिलाओं को ज्यादा जोखिम होता है?
डॉ. गड़े बताती हैं कि यह समस्या खासतौर पर उन महिलाओं में देखने के लिए मिलता है जो पहली बार गर्भवती होती हैं. इसके अलावा जुड़वा या एक से अधिक भ्रूण की गर्भावस्था, माइग्रेन या मोशन सिकनेस हिस्ट्री, मोटापा, अनियमित भोजन और ज्यादा तला-भुना खाना, मानसिक तनाव, परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही हो और हार्मोन HCG के अत्यधिक स्तर या थायरॉयड असंतुलन के कारण भी यह समस्या हो सकती है.
हर दिन उल्टी होना खतरनाक है क्या?
यदि आप उल्टी करने के बावजूद खाना-पीना कर पा रही हैं और एक्टिव हैं, तो यह जरूरी नहीं कि स्थिति गंभीर हो. हालांकि खाना या पानी बिल्कुल भी नहीं रुक रहा हो, चक्कर आना या बेहोशी जैसा लगना, उल्टी में खून आना, तेजी से वजन घटना, दिनभर कमजोरी महसूस होना जैसे संकेत दिखने पर इलाज की जरूरत पड़ती है.
क्या करें राहत के लिए?
डॉ. बताती हैं कि यदि आपको उल्टी की समस्या ज्यादा हो रही है, तो बार-बार थोड़ा-थोड़ा और हल्का भोजन लें, तली-भुनी और मसालेदार चीजों से बचें, इलेक्ट्रोलाइट या सूप जैसे तरल पदार्थ पिएं, अदरक की चाय या नींबू के टुकड़े चूसें, भरपूर आराम करें और घर वालों का सहयोग लें. गंभीर स्थिति में डॉक्टर दवा या IV फ्लूइड दे सकते हैं. मानसिक तनाव वाली महिलाओं के लिए काउंसलिंग और थेरेपी भी फायदेमंद हो सकती है.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.