Doctor warns these 2 habits increasing PCOS poor hormonal balance can destroy dream to be mother | डॉक्टर की चेतावनी- इन दो आदतों से बढ़ रहा PCOS रिस्क, खराब हार्मोनल बैलेंस तोड़ सकता है मां बनने का सपना

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Doctor warns these 2 habits increasing PCOS poor hormonal balance can destroy dream to be mother | डॉक्टर की चेतावनी- इन दो आदतों से बढ़ रहा PCOS रिस्क, खराब हार्मोनल बैलेंस तोड़ सकता है मां बनने का सपना



आजकल युवतियों में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले यह समस्या महिलाओं में 20-30 की उम्र में ज्यादा देखी जाती थी, लेकिन अब किशोरियों में भी इसके मामले चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुके हैं. मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर, पंचशील पार्क की सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ) डॉ. पूर्णिमा रांका  बताती हैं कि हालांकि पीसीओएस में जेनेटिक कारण अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन मौजूदा समय में बदलती जीवनशैली, खासतौर पर जंक फूड का अधिक सेवन और स्क्रीन टाइम बढ़ना, इसके बड़े कारण बन गए हैं. इन आदतों के चलते शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है, जो पीसीओएस के लक्षणों को जन्म देता है.
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जंक फूड्स फीमेल हार्मोन का सबसे बढ़ा दुश्मन
डॉ. रांका बताती हैं कि चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, कोल्ड ड्रिंक जैसे जंक फूड में ज्यादा शुगर और रिफाइंड कार्ब होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाते हैं. जिससे इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है, जो पीसीओएस का सबसे बड़ा कारण है. लगातार हाई इंसुलिन लेवल से इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, जो अनियमित पीरियड्स, मुंहासे, चेहरे और शरीर पर ज्यादा बाल जैसी समस्याएं को पैदा करता है. साथ ही, जंक फूड में मौजूद ट्रांस फैट और अस्वस्थ वसा शरीर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) बढ़ाकर हार्मोनल गड़बड़ी को और खराब कर देते हैं.
मोबाइल कर रहा हार्मोन से खिलवाड़
बढ़ता स्क्रीन टाइम से भी पीसीओएस का खतरा बढ़ता है. लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल करने से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे मोटापा बढ़ता है. स्क्रीन देखते समय अनजाने में अनहेल्दी स्नैकिंग की आदत लगना भी नेचुरल है. खासकर रात में स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के रिलीज को प्रभावित करती है, जिससे नींद की गुणवत्ता और हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है. डॉ. रांका बताती हैं कि जंक फूड और स्क्रीन टाइम सीधे पीसीओएस का कारण नहीं हैं, लेकिन ये जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं.
क्या पीसीओएस से मां बनने का सपना टूट सकता है?
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, पीसीओएस महिलाओं में बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है. इतना ही नहीं इस समस्या से जूझ रही महिलाओं में मिसकैरिज का जोखिम बहुत अधिक होता है. साथ ही ऐसी महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज का खतरा, प्रीमैच्योर डिलीवरी और सी-सेक्शन डिलीवरी बहुत है. 
बचाव के उपाय
डॉक्टर बताती हैं कि हार्मोन को बैलेंस रखने के लिए जरूरी है कि जंक फूड कम करें और ताजी सब्जियां, सलाद, फल, छाछ, पनीर जैसे हेल्दी विकल्पों का अधिक सेवन करें. रोजाना कम से कम 20 मिनट शारीरिक गतिविधि करें. स्क्रीन टाइम को सीमित करें और रात में इसका इस्तेमाल न करें. अच्छी नींद की आदत डालें, रोजाना 8 घंटे की गहरी नींद लें. 
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



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