Vaccine For Pancreatic Cancer: पैंक्रियाटिक कैंसर एक बेहत खतरनाक बीमारी है, जो इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. कई सालों से इसके खिलाफ वैक्सीन बनाने की कोशिश चल रही है, और अब मरीजों को एक नई उम्मीद भी मिल गई है. ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक यूके (UK) में हजारों कैंसर hsMsx को एक नई वैक्सीन का फायदा मिल सकता है, जिसने दुनिया के सबसे डेडली कैंसर्स में से एक, पैंक्रियाटिक कैंसर को स्लो करने की क्षमता दिखाई है. अर्ली क्लीनिकल ट्रायल से पता चलता है कि ये टीका कैंसर सेल्स को टारगेट करने के लिए इम्यून सिस्टम को ट्रेन करके जिंदा रहने की दर को बढ़ा सकता है, जो एक ऐसी बीमारी के लिए एक बहुत जरूरी नया ट्रीटमेंट ऑप्शन देता है जिसमें बचने की उम्मीद काफी कम होती है.
पैंक्रियाटिक कैंसर खतरनाकपैंक्रियाटिक कैंसर यूके में सालाना तकरीबन 10 हजार लोगों को अफेक्ट करता है. कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक, डायग्नोसिस के बाद सिर्फ 7% लोग ही 5 साल या उससे ज्यादा वक्त तक जिंदा रह पाते हैं, इसकी बड़ी वजह ये है कि ये बीमारी चुपचाप डेवलप होती है और अक्सर फैलने के बाद ही इसका पता चलता है. सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे मौजूदा ट्रीटमेंट लाइफ को बढ़ा सकते हैं लेकिन शायद ही कभी ठीक होते हैं.
साइंटिस्ट्स में खुशीसाइंटिस्ट्स ने इसे “रिमार्केबल” के बताया है. ये नई वैक्सी एक म्यूटेटेड जीन को टारगेट करता है जिसे KRAS के तौर पर जाना जाता है, जो कई पैंक्रियाज और बाउल कैंसर में मौजूद होता है. ये एक तरह का इम्यूनोथेरेपी वैक्सीन है जिसे इम्यून सिस्टम की कैंसर-विरोधी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें शॉट सीधे लिम्फ नोड्स: इम्यून एक्टिविटी के लिए क्रिटिकल हब्स को दिया जाता है.
फेज वन ट्रायल के नतीजेक्लीनिकल ट्रायल के पहले स्टेज में 20 पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीज और 5 बाउल कैंसर के मरीज शामिल थे. 20 महीनों के बाद, 68% प्रतिभागियों ने मजबूत इम्यून रिसपॉन्स डेवलप किया. सबसे मजबूत रिसपॉन्स वाले लोग लंबे समय तक जिंदा रहे और 15 महीने से ज्यादा वक्त तक कैंसर फ्री रहे.
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कैसा रहा एवरेज?एवरेज की बात की जाए तो पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीज वैक्सीन लेने के बाद तकरीबन 2 साल और 5 महीने तक जिंदा रहे, जो इस बीमारी के लिए एक्सपेक्टेड से ज्यादा है. लॉस एंजिल्स (Los Angeles) में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) के लीड रिसर्चर डॉ. जेव वेनबर्ग (Dr Zev Wainberg) ने स्टेज 1 की स्टडी के लिए फाइंडिंग्स को “काफी रिमार्केबल” बताया.
हर पेशेंट के लिए एक ही वैक्सीनकुछ कैंसर वैक्सींस के उलट जिन्हें हर पेशेंट के लिए कस्टम-मेट होना चाहिए, ये वर्जन- जिसका नाम ELI-002 2P है: “ऑफ-द-शेल्फ” है, जिसका मतलब है कि ये सभी मरीजं के लिए एक जैसा है और इसे थोक में मैन्युफैक्चर किया जा सकता है. ये इसे प्रोड्यूस और डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए क्विकर और सस्ता बनाता है, और ये कहीं ज्यादा लोगों तक पहुंचता है.
अगला कदम क्या होगाप्रॉमिसिंग स्टेज 1 के रिजल्ट्स ने 144 पैंक्रियाज और बाउल कैंसर मरीजों को शामिल करते हुए एक बड़े स्टेज 2 के ट्रायल को जन्म दिया है. इस ट्रायल के नतीजे अगले कुछ महीनों में आ सकते हैं, और ये तय करने में अहम होंगे कि क्या टीका वाइड क्लीनिकल यूज की तरफ बढ़ सकता है.
वैक्सीन कैसे काम करता है?ELI-002 2P वैक्सीन KRAS म्यूटेशन वाले कैंसर सेल्स को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए इम्यून सिस्टम को ट्रेन करता है. ये लिम्फ नोड्स को टारगेट करके ऐसा करता है, जहां इमयून सेल्स को लड़ाई के लिए तैयार किया जाता है. एक मजबूत टी-सेल रिस्पॉन्स को स्टिमुलेट करके, वैक्सीन का मकसद सर्जरी और दूसरे इलाज के बाद कैंसर के वापस आने के जोखिम को कम करना है.
पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणपैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज करने में दिक्कत की एक वजह ये है कि ये अक्सर शुरुआती स्टेजज में कोई लक्षण नहीं दिखाता है. जब साइन दिखाई देते हैं, तो वो अनक्लीयर हो सकते हैं और आसानी से दूसरे कंडीशन के लिए गलत समझे जा सकते हैं. पैंक्रियाटिक कैंसर यूके के मुताबिक, इस बीमारी के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे:-
1. इनडाइजेशन: मुंह में एक अजीब सा स्वाद के साथ छाती में जलन महसूस होना.
2. पेट या पीठ में दर्द: बेचैनी जो पीठ तक फैल सकती है, अक्सर लेटने पर बिगड़ जाती है और आगे झुकने पर सुधर जाती है.
3. दस्त या कब्ज: लगातार डाइजेस्टिव चेंजेज, साथ ही बिना किसी ठोस वजह के वजन का कम होना.
4. स्टीटोरिया: हल्के, तेल वाले मल जो भारी, बहुत खराब स्मेल करने वाले होते हैं और इसे फ्लश करने में मुश्किलें आती हैं.
5. पीलिया: त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, गहरा पेशाब, हल्का मल और खुजली वाली त्वचा.
कितनी कामयाब होगी वैक्सीन?हालांकि वैक्सीन अभी भी डेवलपमेंट के शुरुआती स्टेज में है, लेकिन ज्यादातर टेस्ट प्रतिभागियों में मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करने की इसकी क्षमता दिखी है. जिससे इस बात की उम्मीद जगती है कि पैंक्रियाटिक कैंसर, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे घातक कैंसर्स में से एक है, वो एक दिन मैनेज किया सकता है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)