why insulin inject in stomach diabetes expert explain reason and benefits | Explainer: इंसुलिन का इंजेक्शन पेट में क्यों लगाया जाता है? डायबिटीज एक्सपर्ट ने बतायी वजह और बड़े फायदे

admin

why insulin inject in stomach diabetes expert explain reason and benefits | Explainer: इंसुलिन का इंजेक्शन पेट में क्यों लगाया जाता है? डायबिटीज एक्सपर्ट ने बतायी वजह और बड़े फायदे



इंसुलिन बॉडी में मौजूद शुगर को एनर्जी में बदलने का काम करता है. इंसुलिन एक तरह  का हार्मोन होता है, जो अग्नाशय में बनता है. डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन का इस्तेमाल इफेक्टिव तरीके से नहीं हो पाता है या इसका उत्पादन कम हो जाता है. इसलिए डायबिटीज मरीज को इंसुलिन की दवा दी जाती है, ताकि खून में शुगर का लेवल मेंटेन रहे और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलते रहे. 
डायबिटीज के करोड़ों मरीजों के लिए इंसुलिन थेरेपी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का एक अहम तरीका है. लेकिन इंसुलिन का असर सिर्फ उसकी खुराक या प्रकार पर ही नहीं, बल्कि इस पर भी निर्भर करता है कि इसे कहां और कैसे लगाया जाता है. आमतौर पर कोई भी इंजेक्शन हाथ, नस या कूल्हे पर दी जाती है. लेकिन इंसुलिन को हमेशा पेट में इंजेक्ट किया जाता है. यह देखने में दर्दनाक होता है, साथ ही यह भी जिज्ञासा जगाता है कि आखिर डायबिटीज मरीज पेट में ही क्यों इंसुलिन को इंजेक्ट करते हैं. यदि आपको भी इसका जवाब नहीं पता है तो चलिए इस लेख में एक्सपर्ट की मदद से जानने की कोशिश करते हैं- 
इसे भी पढ़ें- How To Reduce Blood Sugar: किचन में रखे नेचुरल इंसुलिन से भरे 7 मसाले, कभी नहीं बिगड़ेगा डायबिटीज, शुगर कंट्रोल करने के लिए जानें कैसे करें सेवन
 
इंसुलिन कितने प्रकार के होते हैं?
डायबिटीज के इलाज में इंसुलिन कई प्रकार का होता है और ज्यादातर इसे इंजेक्शन, पेन या पंप के जरिए दिया जाता है, जबकि एक प्रकार इनहेलेबल (सांस के जरिए लेने वाला) भी होता है. सही इंसुलिन का चुनाव और उसकी मात्रा डॉक्टर आपकी जरूरत के अनुसार तय करते हैं.इंसुलिन को उसके असर शुरू होने और असर की अवधि के आधार पर पांच मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है- 
1. रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन- यह इंजेक्शन के 5 से 20 मिनट में असर शुरू करता है और 3 से 5 घंटे तक काम करता है. इसका असर सबसे ज्यादा 1 से 2 घंटे बाद होता है. इसे खाने से पहले लिया जाता है, जैसे इंसुलिन ग्लुलिसिन या इनहेलेबल इंसुलिन.2. रेगुलर (शॉर्ट-एक्टिंग) इंसुलिन– जैसे नोवोलिन R® और ह्यूमुलिन R®, जो 30 से 45 मिनट में असर करना शुरू करते हैं और 5 से 8 घंटे तक असर बनाए रखते हैं.3. इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन- जैसे NPH यह 2 घंटे में असर शुरू करता है और 4 से 12 घंटे के बीच सबसे प्रभावी होता है, कुल 14 से 24 घंटे तक असर रहता है.4.लॉन्ग-लास्टिंग इंसुलिन– जैसे ग्लार्जिन यह 1 घंटे में असर शुरू करता है, 3 से 14 घंटे में पीक पर पहुंचता है और लगभग 24 घंटे तक असर करता है.5. अल्ट्रा लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन – जैसे डिगल्यूडेक यह 6 घंटे में असर शुरू करता है, पीक नहीं बनाता और 2 दिन तक असर बनाए रखता है.
इंसुलिन पेट में क्यों इंजेक्ट की जाती है? 
डॉ. पारस अग्रवाल, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम में प्रोग्राम डायरेक्टर और डायबिटीज, ओबेसिटी, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के एक्सपर्ट बताते हैं कि पेट में इंसुलिन इंजेक्ट करने का कारण है कि इंसुलिन को मुंह से लेने पर यह पेट के पाचक एंजाइमों से नष्ट हो जाती है. इसलिए इसे त्वचा के नीचे सबक्यूटेनियस इंजेक्ट किया जाता है. पेट का हिस्सा इंसुलिन के लिए सबसे अच्छा इंजेक्शन साइट माना जाता है, क्योंकि यहां से यह सबसे तेजी से अवशोषित होती है. हालांकि सही दूरी (नाभि से 3-4 उंगली दूर) और जगह बदलते रहना जरूरी है, ताकि स्किन पर गांठ या लिपोडिस्ट्रॉफी जैसी दिक्कतें न हों.
सबसे बेहतर इंसुलिन इंजेक्शन साइट
पेट इंसुलिन इंजेक्शन के लिए बेहतरीन जगह मानी जाती है. यह जगह मील के साथ ली जाने वाली (रैपिड या शॉर्ट-एक्टिंग) इंसुलिन के लिए आदर्श है. इसके अलावा इंसुलिन इंजेक्शन को जांघ पर भी लगाया जा सकता है. लेकिन इससे इंसुलिन का अवशोषण बहुत धीमे होता है. यह लंबी अवधि वाली (लॉन्ग-एक्टिंग) इंसुलिन के लिए बेहतर विकल्प होता है. इसके अलावा बांह और कूल्हे पर भी इस इंजेक्शन को लगाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ सकती है.
क्यों जरूरी है इंजेक्शन साइट बदलना?
डॉक्टर पारस बताते हैं कि बार-बार एक ही जगह इंजेक्शन लगाने से लिपोडिस्ट्रॉफी यानी कि चर्बी मोटी हो सकती है. इसके अलावा इससे सूजन या गांठ बनने का भी खतरा होता है.  ऐसे में इससे बचने के लिए पेट को हिस्सों में बांटकर बारी-बारी से इस्तेमाल करना जरूरी होता है. यदि किसी हिस्से में गांठ या सूजन आ गयी हो तो उस हिस्से को कुछ हफ्तों के लिए छोड़ दें. 
इंसुलिन इंजेक्ट करने का तरीका
इंसुलिन लेने वाली सुई की लंबाई 4–6 मिमी होनी चाहिए. दुबले मरीज या बच्चों में स्किन पिंच करके लगाएं इसे इंजेक्ट करे. इसके साथ ही छोटी सुई को 90° और लंबी सुई पर 45° एंगल से लगाएं. ध्यान रखें इंसुलिन के इंजेक्शन को लगाने के बाद जगह को रगड़ें नहीं है. इसके अलावा याद रखें  हर बार नई सुई का इस्तेमाल करें, 2–3 बार से ज्यादा सुई का री-यूज न करें और सुई को शेयर न करें.
इंसुलिन का सही स्टोरेज
इंसुलिन इंजेक्शन का सही तरह से स्टोरेज बहुत जरूरी है. इसे हमेशा रेफ्रिजरेटर में 4–8°C पर रखें, फ्रीज न करें. इस्तेमाल के दौरान कमरे के तापमान (25°C से कम) पर 28 दिन तक रख सकते हैं. इसे धूप और गर्मी से बचाना जरूरी होता है. 
इंसुलिन इंजेक्शन से पहले और बाद में क्या करना चाहिए
इंसुलिन इंजेक्शन लगाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोएं, इंजेक्शन साइट साफ करें, इंसुलिन की समय-सीमा और पारदर्शिता (क्लैरिटी) जांचें और इंसुलिन सही तरीके से स्टोर करें. वहीं, इंसुलिन इंजेक्ट करने के बाद जरूरी है कि सुई शेयर न करें और इंजेक्शन के बाद मसाज न करें.
इसे भी पढ़ें- ये मछली नहीं, नेचुरल सप्लीमेंट है! कोलेस्ट्रॉल-डायबिटीज को नेचुरल तरीके से कंट्रोल करने में मददगार, डाइट में करें शामिल
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 
 



Source link