Uttar Pradesh

बारिश में बरसेंगे नोट! न रोग, न दवा…ये फसल आत्मनिर्भर, ये रही उगाने की जादुई ट्रिक

Last Updated:August 12, 2025, 05:06 ISTBitter gourd farming tips : इसकी खेती में लागत कम है और मुनाफा बंपर. कोई भी किसान आंख मूंदकर इसे उगा सकता है. डिमांड कभी कम नहीं होती. लोग खोज-खोजकर खरीदते हैं. कई रोगों में रामबाण है.फर्रुखाबाद. इसकी खेती किसानों के लिए वरदान है. मालामाल बना रही है. सफलता इसके इर्द गिर्द घूमती है. इसका मुख्य कारण बाजार में तगड़ी डिमांड और लगातार बढ़ते इसके भाव. एक बार इस फसल को लगाने के बाद लगातार 3 महीना तक जमकर पैदावार होती है. अगस्त और सितंबर में इसकी बंपर पैदावार होती है. करेले की फसल ऐसी ही है. फर्रुखाबाद की जलवायु इसके लिए परफेक्ट है. यहां कुल पांच तरह के करेले उगा सकते हैं. करेले की फसल उगाने के लिए साल में दो समय बेस्ट हैं. फरवरी से मार्च से और अगस्त और सितंबर.

फर्रुखाबाद के कंधरापुर के निवासी किसान हर्षित बताते हैं कि वह पिछले आठ साल से सब्जियों की खेती में जुटे हैं. इस समय पर अपने खेतों में करेले की फसल लगा रखी है. उन्होंने इसकी बुवाई मार्च महीने में की थी. अगस्त में लगातार बंपर उत्पादन दे रही है. हर्षित बताते हैं कि इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर प्रति बीघा 30 हजार रुपए की लागत आती है. अगर बाजार में इसकी तगड़ी डिमांड है और रेट अच्छा है तो दो से ढाई लाख रुपए प्रति बीघा कमाई कर सकते हैं.

खेती का तरीका

किसान हर्षित बताते हैं कि फसल बोने से पहले जमीन की रोटावेटर या कल्टीवेटर से अच्छी तरीके से जुताई करके खरपतवार हटा लें. इस फसल को बरसात के मौसम में बो सकते हैं. इस समय आप खराब गोबर को जैविक खाद की तरह प्रयोग कर सकते हैं. उन्नत सील करेले के बीजों को बोना फायदेमंद होता है. इस फसल को हम मचान विधि और खुले मैदान में जमीन पर भी फैलाकर फसल प्राप्त कर सकते हैं. मुख्य किस्में हैं कल्याणपुर बारहमासी, काशी हरित, सफेद काशी उर्वशी, सोलन पूसा 2.

करेले की खेती में बैक्टीरिया लगने की वजह से इसके पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाला जैसा दिखाई देने लगता है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं. किसान इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें. इससे 3 सप्ताह तक करेले की बेल सुरक्षित रहती है. नमी के अनुसार, हर तीसरे दिन सिंचाई भी कर सकते हैं.Location :Farrukhabad,Uttar PradeshFirst Published :August 12, 2025, 05:06 ISThomeagricultureबारिश में बरसेंगे नोट..ये फसल आत्मनिर्भर, ये रही उगाने की जादुई ट्रिक

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