He Died for 10 Minutes: अगस्त 2023 में, रोमफोर्ड के 42 साल के 2 बच्चों के पिता मैथ्यू एलिक (Matthew Allick) अचानक काम करते हुअ गिर पड़े. कई हफ्तों से उन्हें बिना वजह सांस फूलना और पैरों में सूजन थी. आमतौर पर हेल्दी और एक्टिल रहने वाले मैथ्यू ने इन लक्षणों को अपनी नई नाइट शिफ्ट की थकान समझा, लेकिन जब वो दफ्तर एक सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाए, तो एक कलीग ने एंबुलेंस बुला ली.
10 मिनट के लिए “मौत”पैरामेडिक्स ने पाया कि उनका दिल अनियमित तरीके धड़क रहा था और उन्हें हैमरस्मिथ हॉस्पिटल (Hammersmith Hospital) ले जाया गया. एक मेडिकल स्टाफ से बात करते वक्त उनकी तकलीफ अचानक दर्द के पैमाने पर “0” से “13” तक पहुंच गई, और फिर उन्हें एक बड़े पल्मोनरी एंबोलिज्म (फेफड़ों में खून का थक्का) के कारण कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) हो गया. कुछ मिनटों तक वो क्लिनिकली डेड थे, न तो पल्स महसूस हो रहा था, न ही दिल धड़क रहा था. अस्पताल के स्टाफ ने सीपीआर और डिफिब्रिलेटर की मदद से उन्हें रिकवर किया, हालांकि इस प्रोसीजर की ताकत से उनके इंटरनल ब्लीडिंग होने लगी.
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कोमा में चले गए मैथ्यू मैथ्यू को 3 दिनों के लिए इंड्यूस्ड कोमा में रखा गया. स्कैन में उनके दिल और फेफड़ों में “क्रिकेट बॉल” जितने बड़े खून के थक्के पाए गए. डॉक्टरों ने कई ऑपरेशन किए, कैथेटर से थक्के निकाले और उन्हें कई बार खून चढ़ाया, जिसे मैथ्यू अपनी जान बचाने का सबसे बड़ी वजह मानते हैं.
मैथ्यू का कमबैकडॉक्टर्स ने परिवार को चेतावनी दी कि अगर वो बच भी गए, तो ऑक्सीजन की कमी के कारण उन्हें गंभीर ब्रेन डैमेज हो सकता है. लेकिन सभी आशंकाओं को पीछे छोड़ते हुए मैथ्यू पूरी तरह होश में आ गए, हालांकि कुछ समय के लिए उनकी याददाश्त कमजोर रही. शुरुआत में वो हिल-डुल नहीं पा रहे थे, लकवे का डर था, नाम याद नहीं रहते थे और रंग पहचानने में भी परेशानी थी. धीरे-धीरे उन्हें बैठना, चलना और ब्लैडर पर नियंत्रण जैसे बुनियादी काम फिर से सीखने पड़े. उनके भाई ने फिल्मों के डायलॉग सुनाकर उनकी याददाश्त लौटाने में मदद की.
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सबकुछ ठीक था, फिर भी..मैथ्यू को ‘मरने’ के पलों की कोई याद नहीं है, वो इसे एक “सुकून भरी नींद” से जागने जैसा बताते हैं. धीरे-धीरे उनकी सेहत नॉर्मल होने लगी, लेकिन डॉक्टर आज भी यह तय नहीं कर पाए हैं कि दिल का दौरा क्यों पड़ा, क्योंकि वे यंग, फिट, नॉन-स्मोकर और नॉर्मल वजन वाले थे. ये अनजाना कारण उनके लिए और भी चौंकाने वाला था.
गजब हो गयाहॉस्पिटल के स्टाफ ने उन्हें “मिरेकल मैन” (Miracle Man) नाम दिया, क्योंकि उनकी तरह सिर्फ 5% लोग ही बच पाते हैं. उनका बचना तुरंत मेडिकल मदद और मिलते-जुलते ब्लड ग्रुप के ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर डिपेंड था. इस तजुर्बे ने उन्हें ब्लड डोनेशन के लिए इंस्पायर किया, खासकर ब्लैक हेरिटेज कम्युनिटी में. ‘एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट’ का कहना है कि नस्लीय रूप से मेल खाने वाला खून मरीजों की रिकवरी और कॉम्पलिकेशंस को कम करने में बेहद अहम है.
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अभी कैसे हैं मैथ्यू?आज मैथ्यू तकरीबन “75 फीसदी नॉर्मल” हो चुके हैं. कभी-कभी सीने में दर्द या सूजन हो जाती है, जिससे उन्हें दोबारा अटैक का डर लगता है, लेकिन हैमरस्मिथ हॉस्पिटल ने आश्वासन दिया है कि किसी भी चिंता पर उन्हें तुरंत देखा जाएगा. वो जिंदगीभर ब्लड थिनर लेते रहेंगे.
बल्ड डोनेशन की अहमियतअपने इस स्ट्रगल को याद करते हुए मैथ्यू डॉक्टर्स, दोस्तों, परिवार, बच्चों और अपनी उस वक्त की मंगेतर के आभारी हैं, जो अस्पताल में रोज उनसे मिलने आती थी. उनके सपोर्ट ने उन्हें ये अहसास दिलाया कि वो कितने खुशकिस्मत हैं कि जिंदा हैं. अब वो अपनी कहानी से ब्लड डोनेशन की अहमियत पर जागरूकता फैलाते हैं, क्योंकि उनके मुताबिक यही वो वजह थी, जिसकी बदौलत वे अपनी 10 मिनट की मौत से वापस लौट पाए.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)