What is Vata Dosha trigger Stress symptoms appear do these remedies suggested in Ayurveda | क्या है वात दोष? दिमाग में बढ़ने लगता है स्ट्रेस, ये लक्षण दिखते ही करें आयुर्वेद में बताए ये उपाय

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What is Vata Dosha trigger Stress symptoms appear do these remedies suggested in Ayurveda | क्या है वात दोष? दिमाग में बढ़ने लगता है स्ट्रेस, ये लक्षण दिखते ही करें आयुर्वेद में बताए ये उपाय



आज के समय में कोई भी व्यक्ति ऐसा शायद ही आपको मिले जो यह कहे कि उसे किसी बात की टेंशन नहीं है, कोई तनाव नहीं है. हर उम्र का व्यक्ति अपनी-अपनी जिंदगी में किसी न किसी बात से परेशान है. कुछ लोग इससे निकलने के लिए शराब और नशीले पदार्थों का सेवन बहुत ज्यादा करने लगते हैं, जिससे तनाव तो नहीं खत्म होता, लेकिन सेहत और बैंक बैलेंस जरूर बर्बादी के गर्त में जाने लगते हैं. 
जबकि तनाव सिर्फ आपके आसपास या जीवन में रही परेशानियों से जुड़ा नहीं है. यह आपके शरीर में चल रही दिक्कतों का भी परिणाम हो सकता है, जिसे आमतौर पर लोग समझ नहीं पाते हैं. लेकिन आयुर्वेद में तनाव और इसके कारण, उपाय और उपचार के बारे में बताया गया है, विस्तार से बताया गया है.
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तनाव क्यों होता है?भागदौड़ भरी दिनचर्या, हर वक्त किसी से आगे निकलने की कोशिश, समय की कमी और इमोशन्स को जाहिर न कर पाने के कारण व्यक्ति अक्सर भीतर ही भीतर टूटता चला जाता है. आधुनिक चिकित्सा जहां तनाव को न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल तरीके से देखती है, वहीं आयुर्वेद इसे शरीर और मन के बीच संतुलन के बिगड़ने के रूप में समझता है. आयुर्वेद के अनुसार, तनाव केवल मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह शरीर के वात दोष के असंतुलन का संकेत है.
क्या होता है वात दोष
कई आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है. चरक और सुश्रुत संहिता में इसको परिभाषित करते हुए बताया गया है कि वात दोष वायु और आकाश तत्व से संबंधित है. इसका मुख्य स्थान पेट और आंत में हैं. इसके कारण ही स्ट्रेस होने पर डाइजेशन संबंधित परेशानिया होने लगती है. शरीर में गति से जुड़ी सभी प्रक्रिया वात के कारण ही संभव होती है. इसके साथ ही यह सर्कुलेशन और नर्वस प्रोसेस को कंट्रोल करता है.  
असंतुलित वात के लक्षण
जब यह दोष असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को मानसिक अस्थिरता, बेचैनी, अनिद्रा, और शारीरिक जकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव होता है. शरीर में यह असंतुलन सबसे पहले मांस और लिगामेंट पर असर डालता है, जिससे व्यक्ति को गर्दन, पीठ या कंधों में दबाव महसूस होता है. सुबह के समय शरीर में जकड़न, थकान, और नींद के दौरान दांत पीसने की आदतें इसके साफ संकेत हो सकते हैं.
तनाव का कारण
तनाव के प्रमुख कारणों में उच्च वात स्तर और शरीर से जमा विषाक्त पदार्थों का समय पर बाहर न निकलना शामिल हैं. जब व्यक्ति लगातार मानसिक दबाव में रहता है और अपने मन की बात किसी से साझा नहीं करता, तो ये भावनाएं शरीर में गहराई से बैठ जाती हैं और तनाव का रूप ले लेती हैं. यह धीरे-धीरे लिगामेंट को प्रभावित करता है, जिससे शारीरिक तनाव के लक्षण प्रकट होने लगते हैं.
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उपाय और उपचार
आयुर्वेदिक उपचार में सबसे पहले वात को संतुलित करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसके लिए जीवनशैली में नियमितता, गर्म भोजन, पर्याप्त विश्राम और मालिश की सलाह दी जाती है. तेल मालिश शरीर में वात को शांत करती है और मांसपेशियों को लचीलापन देती है. योग और प्राणायाम भी आयुर्वेद का ही हिस्सा माने जाते हैं, जो मन और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करते हैं. विशेषकर अनुलोम-विलोम और श्वास पर नियंत्रण से वात दोष संतुलित होता है और मन को शांति मिलती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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