Health

Woman felt that something was stuck in her eyes but she saw a dangerous Worm crawling under eyelids | महिला को लगा कि आंखों में कुछ ‘अटक’ गया, लेकिन पलको के नीचे रेंगते हुए दिखे ये खतरनाक कीड़े



Parasitic Worm in Eye: ये घटना हैरान करने वाली है जब एक महिला कई बार अस्पताल गई और आंख में कुछ होने का अहसास दूर नहीं हुआ, तो पता चला कि वो असल में पैरासाइट्स थे. बीएमसी ऑप्थेलमोलॉजी (BMC Ophthalmology) में छपी एक केस रिपोर्ट के मुताबिक, 41 साल की महिला ने अपनी दाहिनी आंख में कुछ फंसा हुआ महसूस होने के बाद डॉक्टर से मदद लेने का फैसला किया.
डॉक्टर ने क्या देखा?’द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक पहली जांच में, डॉक्टरों ने पाया कि बाहरी सतह, यानी कॉर्निया, डैमेज दिख रही थी, लेकिन उन्हें कोई बाहरी कण नहीं मिला. उन्होंने बीजिंग (Beijing) में रहने वाली मरीज को आई ड्रॉप्स दीं. एक तरह की ड्रॉप्स आंखों की जलन के इलाज के लिए थी और दूसरी में इंफेक्शन को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स थी. हालांकि, आई ड्रॉप्स से उसके लक्षणों में कोई कमी नहीं आई और अगले महीने वह उसी अहसास के साथ अस्पताल वापस आई कि उसकी आंख में कुछ फंसा हुआ है.
आंखें हो गई थी लालइस बार उसकी आंख में लगातार रेडनेस और खुजली भी हो गई थी. डॉक्टर्स ने उसकी आंख को दोबारा चेक किया और इस बार देखा कि उसकी ऊपरी पलक के नीचे का टिश्यू सूजा हुआ लग रहा था. केस रिपोर्ट के लेखकों ने लिखा कि “काफी हद तक फुंसी जैसे उभार” भी थे. एक आईलिड रिट्रेक्टर नामक टूल का इस्तेमाल करके, उन्होंने टिशू को करीब से जांचने के लिए उसकी पलक को पीछे खींचा.
लैब में भेजे गए कीड़ेइसे और करीब से जांच करने पर, डॉक्टरों ने 4 छोटे, सफेद कीड़े (Worms) रेंगते हुए पाए. मेडिकल टीम ने उस जगह को सुन्न करने के लिए एक टॉपिकल एनेस्थेटिक लगाया और फिर चिमटी से वर्म को हटा दिया. फिर इन कीड़ो को जांच के लिए एक लैब में भेजा गया.
खतरनाक कीड़ा निकलावर्म के माइक्रोस्कोपिक और जेनेटिक एनालिसिस से पता चला कि वे थेलाजिया कैलीपाएडा (Thelazia callipaeda) नामक प्रजाति के थे, जिन्हें ओरिएंटल आई वर्म भी कहते हैं, जो थेलाजियासिस (Thelaziasis) नामक एक पैरासिटिक इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं.
आंखों को सेफ किया गयाये एनश्योर करने के बाद कि महिला की आंख (Eyes) में और कोई वर्म नहीं थे, डॉक्टरों ने उसकी आंख को एक घोल से धोया और बाद में बैक्टीरियल इंफेक्शन के रिस्क को कम करने के लिए उसे एंटीबायोटिक वाला एक मरहम दिया.
 
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ठीक होने लगी महिला डॉक्टर्स ने लिखा, “एक हफ्ते बाद, मरीज के लक्षणों में काफी सुधार हुआ, और अगले 2 महीनों में कोई दोबारा इंफेक्शन नहीं हुआ.” इंसानों में थेलाजियासिस (Thelaziasis) रेयर है और आमतौर पर जानवरों में ज्यादा कॉमन है.
इंसानी आंखों तक कैसे पहुंचता है ये कीड़ा?ये खास तौर से ड्रोसोफिलिड मक्खियों (Drosophilid flies) यानी फल मक्खी (Fruit fly) द्वारा फैलता है, जो इंटरमीडिएट होस्ट के रूप में काम करती हैं. ये मक्खियां संक्रमित जानवरों के लैक्रिमल सिक्रीशन (आंसू) पर पलती हैं और लार्वा को निगल लेती हैं, जो फिर मक्खी के अंदर तीसरे चरण के इंजेस्टिंग लार्वा में विकसित हो जाते हैं.
जब मक्खी फिर किसी दूसरे जानवर (या इंसान) की आंखों पर बैठती है, तो वो इंफेक्टिव लार्वा को छोड़ देती है, जिससे इंफेक्श फैलता है. ऐतिहासिक रूप से, इंसानों में थेलाजियासिस के ज्यादातर मामले एशिया में सामने आए हैं, जिसमें चीन में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.
महिला की आंखों में कैसे आया वर्म?रिपोर्ट के ऑथर्स ने कहा, “थेलाजियासिस के मामले ज्यादातर कृषि क्षेत्रों और उन इलाकों में सामने आए हैं, जहां घरेलू जानवरों के कॉन्टैक्ट में आने की ज्यादा संभावना है.” लेकिन इस मामले में, महिला के इंफेक्शन का सोर्स क्लियर नहीं था. वो शहरी इलाके में रहने वाली एक ऑफिस वर्कर थी, और उसे हाल ही में उड़ने वाले वर्म के संपर्क में आने का कोई मामला याद नहीं था.
बिल्ली पर शकहालांकि, उसने एक पालतू बिल्ली के बारे में बताया जिसको हाल ही में आंख में इंफेक्शन हुआ था. लेकिन मरीज के मना करने की वजह से बिल्ली की पैथोलॉजिकल जांच नहीं की गई. रिपोर्ट के ऑथर्स ने फाइंडिंग्स निकाला, “शहरी इलाकों में भी, डॉक्टर्स को थेलाजियासिस के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए और इसे एक पोटेंशियल डायग्नोसिस के रूप में मानना चाहिए.”

इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, जिनमें आपकी आंख में कुछ होने का अहसास, खुजली, आंखों में दर्द, आंख को ढकने वाले ऊतक और पलकों में खून या सूजन, कॉर्निया में अल्सर और नजर में बदलाव शामिल हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स को मरीजों से ये पूछना चाहिए कि क्या उनके पास पालतू जानवर हैं या हाल ही में उड़ने वाले कीड़ों के संपर्क में आए हैं.

कुछ गलतियों से बचना चाहिए जिससे आप पैरासिटिक वर्म के संपर्क में आ सकते हैं

1. टॉयलेट यूज करने या नैपी बदलने के बाद अपने हाथ ठीक से न धोना.
2. एनल एरिया में खुजली करना और फिर बिना हाथ धोए सतहों या भोजन को छूना.
3. उन एरियाज में नंगे पैर चलना जहां की मिट्टी दूषित हो सकती है (इससे हुकवर्म का रिस्क होता है, जो विदेशों में ज्यादा कॉमन है).
4. अधपका मांस या मछली खाना (इससे टेपवर्म का खतरा हो सकता है) या बिना धुले फल और सब्जियां खाना.
5. घर के सभी सदस्यों का एक ही समय पर इलाज न कराना, जिससे दोबारा इंफेक्शन हो जाता है.
 (Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)



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