Uttar Pradesh

Mathura News: मथुरा में है द्वापर युग का वो अद्भुत स्थान, जहां श्री कृष्ण और युधिष्ठिर करते थे युद्ध मंथन!

Last Updated:August 09, 2025, 23:14 ISTMathura Hindi News: मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान और ज्ञान-बाबरी का धार्मिक महत्व है. यहां कृष्ण और युधिष्ठिर युद्ध की योजना बनाते थे. वराह पुराण में वर्णित इस स्थान का जल पुनर्जन्म से मुक्ति देता है.मथुरा: मथुरा, जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, वह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि इतिहास और पौराणिक कथाओं का गवाह भी है. यहां की हर गली, हर मंदिर कृष्ण की लीलाओं की गाथा सुनाता है. मथुरा में एक ऐसा स्थान भी है जिसे ज्ञान-बाबरी के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर बैठकर युद्ध को लेकर अपने विचार साझा करते थे. यह ज्ञान-बाबरी जन्मस्थान से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित है. आइए जानते हैं इस पावन स्थान की पौराणिक महत्ता और इतिहास.

द्वापर युग में था ज्ञान-बाबरी का महत्वभगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर युद्ध की योजना और रणनीति पर चर्चा करने के लिए इस स्थान पर मिलते थे. द्वापर काल के इस पावन स्थल ने कई महत्वपूर्ण वार्तालाप और विचारों को अपने अंदर समेटा हुआ है. मथुरा जन्मस्थान के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि ज्ञान-बाबरी का अर्थ है ऐसा कुआं जहां आने वाले हर व्यक्ति की प्यास बुझ जाती है. इस स्थान की महत्ता वराह पुराण में भी वर्णित है. पुराणों के अनुसार, इस बावड़ी के जल से स्नान करने वाला व्यक्ति पुनर्जन्म के बंधनों से मुक्त हो जाता है.

ज्ञान-बाबरी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
जन्मस्थान से लगभग 200 मीटर दूर, पोतरा कुंड के पश्चिम में स्थित ज्ञान-बाबरी को वराह पुराण में ‘ज्ञानवापी’ के नाम से भी जाना जाता है. यह स्थान द्वापर युग से जुड़ा हुआ है और हिंदू धर्म में इसका विशेष स्थान है. कहा जाता है कि यहां भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर युद्ध की मंथन करते थे और भविष्य की योजनाओं पर विचार करते थे.

राजा भरतरी की समाधि
प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर बताते हैं कि मथुरा में राजा भरतरी की समाधि भी ज्ञानवापी परिसर के भीतर स्थित है. इसके अलावा, जब महान संत चैतन्य महाप्रभु पश्चिम बंगाल से मथुरा आए, तो उन्होंने सबसे पहले भगवान केशव देव के दर्शन किए. उन्होंने ज्ञान-बाबरी में स्नान किया, जिससे उन्हें गहरा ज्ञान प्राप्त हुआ और वे भगवान के साधन में लीन हो गए.
लेकिन, वर्तमान समय में हिंदू समाज की अनदेखी के कारण ऐसे पौराणिक और धार्मिक स्थलों की देखभाल कम होती जा रही है. हमें अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को बचाना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनके महत्व को समझ सकें और इन्हें संरक्षण मिल सके.
यह भी पढ़ें: बारिश से बर्बाद हो रही है सब्जियां? पानी में मिलाकर छिड़क दीजिए 2 ग्राम ये जादुई चीज, फिर देखिए कमालLocation :Mathura,Uttar PradeshFirst Published :August 09, 2025, 23:14 ISThomeuttar-pradeshद्वापर युग का वह रहस्यमयी स्थल,जहां श्री कृष्ण और युधिष्ठिर करते थे युद्ध मंथन

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