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Why people dying while working out| Heart attack In gym| What cause sudden heart failure | 30-40 की उम्र में वर्कआउट कर रहे, तो कार्डियोलॉजिस्ट की ये बात रखें ध्यान, जिम में हार्ट फेल से बच जाएंगे!



आजकल की खबरों में आपने देखा होगा कि 30-40 साल के फिट और एक्टिव यंग लोग वर्कआउट करते हुए जिम में गिर अचानक गिर पड़ते हैं. कई सारे मामलों में तुरंत व्यक्ति की मौत भी हो जाती है. यह बहुत चिंताजनक है, जब एक तरफ हेल्थ एक्सपर्ट आपको एक्सरसाइज करने की सलाह दें और दूसरी तरफ न्यूज में जिम करते हुए लोग हार्ट फेल से मरते नजर आते हैं. ऐसे में हर एक आम व्यक्ति जो रोजाना जिम जाता है, वो इसी सवाल का जवाब जानना चाहता है, कि आखिर गलती कहां होती है? कैसे खुद को एक्सरसाइज के कारण मरने से बचाया जा सकता है?
हार्ट स्पेशलिस्ट और फंक्शनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आलोक चोपड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में जिम में हार्ट फेलियर के ट्रिगर का कारण बताते हुए कहा कि इसका कारण ट्रेडमिल या व्यायाम नहीं, बल्कि एक गंभीर समस्या है जिसे मेटाबॉलिक डिसफंक्शन यानी चयापचय संबंधी गड़बड़ी कहते हैं. डॉक्टर चोपड़ा बताते हैं कि केवल पतला होना या नियमित व्यायाम करना ही आपको हेल्दी नहीं बनाता. खासकर अगर आपकी उम्र 40 साल से कम है और आप सोचते हैं कि वर्कआउट करने से आपका दिल दुरुस्त रहेगा, तो यह सोच गलत हो सकती है. 30 की उम्र में भी चयापचय संबंधी डिसऑर्डर आपके दिल को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहे हैं, जो आपको पता भी नहीं चलता. ऐसे में सही मायने में सेहतमंद रहना है तो जिम में पसीना बहाने से पहले मेटाबॉलिक डिसफंक्शन के बारे में यहां जरूर समझ लें. 

चयापचय संबंधी गड़बड़ी क्या है?
मेटाबॉलिक डिसफंक्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपका शरीर सही तरीके से शुगर या इंसुलिन को कंट्रोल नहीं कर पाता. इसमें सूजन और हार्मोन का असंतुलन भी शामिल होता है. भारत में खासकर युवा इस समस्या से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. वे लोग जो पतले दिखते हैं, नियमित व्यायाम करते हैं, लेकिन फिर भी अंदर उनका शरीर स्वस्थ नहीं होता है. इससे उनका दिल लगातार दबाव में रहता है, जो आखिरकार हार्ट अटैक या दिल की अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है.
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क्यों 30-40 की उम्र में दिल का दौरा ज्यादा हो रहा है?
यह सब जानते हैं कि भारत में दिल की बीमारियां अब पहले से कम उम्र में दिखने लगी हैं. खासकर शहरी इलाकों में जॉब करने वाले लोग तनाव, अनियमित खानपान, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण मेटाबॉलिक डिसफंक्शन से प्रभावित हो रहे हैं. कुछ मामलों में मोटापे का भी असर होता है, लेकिन बहुत से लोग बिना मोटापे के भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. इसे साइलेंट किलर कहना गलत नहीं होगा. क्योंकि इसका पता लगाना आसान नहीं होता. 
कैसे पहचानें मेटाबॉलिक हेल्थ ठीक नहीं है?
आप भले ही फिट दिखें और ठीक महसूस करें, लेकिन शरीर में कई संकेत आपको चेतावनी देते हैं कि आप शरीर अंदर से परेशानियों का सामना कर रहा है. इसमें- लगातार थकान महसूस होना, भले ही आप अच्छी नींद ले रहे हों. आपका वजन सामान्य हो, लेकिन पेट के आसपास ज्यादा चर्बी होना. ऐसे में अगर आपको लगता है कि आप ज्यादा प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट खा रहे हैं और ब्लड शुगर, इंसुलिन या CRP का टेस्ट नहीं करवा रहे हैं, लगातार तनाव में हैं तो यह समय है कि आप अपनी सेहत की जांच करवाएं, भले ही आप जिम जा रहे हों. डॉ. चोपड़ा कहते हैं कि वर्कआउट से पहले अपनी चयापचय स्थिति जानना बहुत जरूरी है.
दिल को बीमारियों से कैसे बचाएं?
30-40 की उम्र में हेल्दी रहने के लिए अब समझदारी से कदम उठाना आवश्यक है. इसके लिए ब्लड टेस्ट कराएं. इंसुलिन, CRP, लिपिड प्रोफाइल जैसे टेस्ट कराना जरूरी है ताकि चयापचय की स्थिति का पता चल सके. अच्छी नींद लें गहरी और पर्याप्त नींद से शरीर की मरम्मत होती है. चीनी और प्रोसेस्ड फूड कम करें ये आपके मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ते हैं. तनाव कम करें इसके लिए मेडिटेशन या योग करें. परिवार में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री है डॉक्टर से इस बारे में बात करें, चाहे आपको अभी कोई प्रॉब्लम न महसूस हो रही हो. इससे आप जोखिम को समझ सकते हैं और इससे बचने के लिए वक्त पर कदम उठा सकते हैं. 
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



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