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Mother of 4 Overlooked Symptom in Body and Chest Turns Out to Be Aggressive Breast Cancer | 4 बच्चों की मां शरीर के जिस इशारे को समझ रही थी मामूली, वो निकला खतरनाक ब्रेस्ट कैंसर, जानिए कैसे बची जान



Aggressive Breast Cancer Signs: महिलाओं को होने वाली कुछ बीमारी उनकी जिंदगी को 360 डिग्री टर्न कर देती है. इंग्लैंड के नॉर्थम्बरलैंड (Northumberland) में रहने वाली 41 साल की 4 बच्चों की मां, एंड्रिया हेंडरसन को तब एक दिल दहला देने वाली ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) की बीमारी का पता चला जब डॉक्टरों ने शुरू में उनके लक्षणों को एक साल से ज्यादा वक्त तक नजरअंदाज कर दिया था.
मामूली लग रहे थे शुरुआती लक्षणएंड्रिया के पहले लक्षण सीने में तेज, चुभने वाला दर्द और बहुत ज्यादा थकान थे, जिनकी जानकारी उन्होंने अपने डॉक्टर को दी. इन लक्षणों को उनकी बिजी लाइफस्टाइ, बच्चों और फोटोग्राफ्री करियर के मैनेजमेंट से जोड़ा गया, और इसे “मां की थकान” का नाम दिया गया. एनएचएस के मुताबिक, सीने में दर्द अक्सर इनडाइजेशन या सीने में जलन जैसे हार्मलेस कारणों से होता है, जिसने शायद शुरूआती मेडिकल असेसमेंट को अफेक्ट किया होगा.
जब पहली बार बढ़ने लगी फिक्रहालांकि, फरवरी में, एंड्रिया ने नहाने के बाद अपने निप्पल से खून बहता हुआ देखा, ये एक ऐसा लक्षण था जिसने उनकी अपनी फिक्र बढ़ा दी. उन्होंने तुरंत अपने डॉक्टर से बात किया और उन्हें उसी दिन की अपॉइंटमेंट दी गई. जांच के दौरान, डॉक्टर को उनके बाएं निप्पल के नीचे चावल के दाने के बराबर का एक छोटा-सा उभार मिला. 

इस बीमारी का पता चलागांठ और निप्पल से डिसचार्ज (खासकर खून के साथ) ब्रेस्ट कैंसर की जानी-मानी वॉर्निंग साइन हैं. इस बात का पता लगने के बाद, एंड्रिया को सीधे एक कैंसर क्लिनिक में भेज दिया गया. स्कैन और बायोप्सी ने कंफर्म किया कि उन्हें एचईआर2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर (HER2-positive breast cancer) था, जो एक अग्रेसिव रूप है और ब्रेस्ट कैंसर के तकरीबन 15% मामलों के लिए ज़िम्मेदार है.
पैरों तले खिसक गई जमीनएंड्रिया ने इस बीमारी के इमोशनल झटके को याद किया, खासकर तब जब उनके कंसल्टेंट ने पहले उन्हें ये कह कर रीएश्योर किया था कि ये शायद कैंसर नहीं है. एक एमआरआई में 4.9 सेमी का ट्यूमर सामने आया जिसमें अग्रेसिव कैंसर सेल्स थे, और आसपास के लिम्फ नोड्स में संभावित रूप से फैलने की आशंकाएं थीं
दुखी था मनइसके तुरंत बाद एक बड़ी सर्जरी हुई. 4 जून को, मह दो महीने बाद, एंड्रिया ने ट्यूमर को हटाने के लिए मास्टेक्टॉमी करवाई, साथ ही एक नया ब्रेस्ट बनाने के लिए रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी भी करवाई. एक ब्रेस्ट को खोने की संभावना उनके लिए बेहद दुखद थी. 
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सर्जरी के बाद, एंड्रिया को पता चला कि उन्हें एस्ट्रोजन के इफेक्ट को रोकने और कैंसर के दोबारा होने के रिस्क को कम करने के लिए 10 साल तक हार्मोन थेरेपी (एंडोक्राइन थेरेपी) की जरूरत होगी. इस इलाज से अर्ली मेनोपॉज होगा और बांझपन भी हो सकता है. इन हार्श रियलिटी के बावजूद, वो कहती हैं कि कैंसर ने उन्हें “द बेयर मिनिमम” यानी सबसे कम लेवल तक ला दिया है और उन्हें मजबूत बना दिया है. उनकी ट्रीटमेंट दिसंबर तक चलने वाले 8 राउंड की कीमोथेरेपी के साथ जारी है. एंड्रिया और उनके परिवार ने उन्हें काम से दूर रहने और ठीक होने पर फोकस करने करने के लिए एक ‘गोफाउंडमी’ की शुरुआत की है.

अवेयरनेस बढ़ा रही हैं एंड्रियाएंड्रिया अब अपने एक्सपीरिएंस का इस्तेमाल जागरूकता बढ़ाने के लिए कर रही हैं. वो यंग महिलाओं से रेगुलरली अपने ब्रेस्ट की चेक करने का गुजारिश करती हैं, जिसमें निप्पल और बगल के एरियाज भी शामिल हैं, और उसमें किसी भी तरह की डिम्पलिंग, सूजन, निप्पल इनवर्जन, और आकार या बनावट में किसी भी बदलाव पर ध्यान देना शामिल है. वो जोर देती हैं कि उनकी कुदरती बनावट के बावजूद, निप्पल कैंसर से इम्यून नहीं हैं.
महिलाओं के लिए बड़ा खतरावो एनएचएस ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग की उम्र को कम करने के बारे में बात कर रही हैं. मौजूदा वक्त में, 50-70 साल की उम्र की महिलाओं को हर 3 साल में स्क्रीनिंग के लिए इनवाइट किया जाता है, जिसकी शुरुआत 50-53 साल की उम्र के बीच होती है. फिर भी, हर साल, स्क्रीनिंग की उम्र से कम की 10,000 से ज्यादा महिलाओं को बीमारी का पता चलता है, और तकरीबन 2,000 महिलाओं की 50 से पहले मौत हो जाती है.

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यंग गर्ल्स की स्क्रीनिंग जरूरीएंड्रिया इस बात पर जोर देती हैं कि यंग महिलाओं में अक्सर एस्ट्रोजन का लेवल ज्यादा होने के कारण उनका पूर्वानुमान खराब होता है, और शुरुआती स्क्रीनिंग के बिना कई मामले छूट जाते हैं. उनके इस रुख का समर्थन एक ग्राउंडब्रेकिंग यूके ट्रायल ने भी किया है जिसमें पाया गया है कि 30 के दशक की तकरीबन 5 में से 1 महिला में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है.
अर्ली डिटेक्शन से बदलेंगे हालातक्रिस्टी हॉस्पिटल, मैनचेस्टर (Christie Hospital, Manchester) में डॉ. साचा हॉवेल (Dr. Sacha Howell) के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 30 साल की उम्र में कंप्रीहेंसिव ब्रेस्ट कैंसर जोखिम आकलन की सिफारिश की गई है. इससे ज्यादा जोखिम वाले लोगों की पहचान जल्दी करने में मदद मिल सकती है, जिससे संभावित रूप से जान बचाई जा सकती है.
क्या हैं मौजूदा हालात?मौजूदा वक्त में, यूके में 7 में से 1 महिला को अपनी लाइफटाइम के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है, जिससे ये देश का सबसे कॉमन कैंसर बन गया है. अच्छी बात यह है कि जिन महिलाओं को ये बीमारी पता चलती है, उनमें से लगभग 85% पांच साल से ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं, लेकिन ये आंकड़ा शुरुआती पहचान पर बहुत ज्यादा डिपेंड करता है.



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