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how brain affects the mood | मूड को कंट्रोल करता है आपका दिमाग | how brain chemicals serotonin dopamine norepinephrine work



Brain Chemicals Work to Control Mood: “तुम्हारी बात ने मेरा मूड खराब कर दिया”, “उसे देखकर मेरा अच्छा मूड बिल्कुल खराब हो गया”, “आज मेरे मैनेजर ने मेरा मूड खराब कर दिया”. मूड से जुड़ी इस तरह की बातें आप हर रोज सुनते हैं. दिनभर में न जानें कितनी बार आपका भी मूड खराब होता है. हम यही सोचते हैं कि बाहरी परिस्थिती हमारे मूड को खराब कर देती हैं. लेकिन आपको बता दें, कोई बाहरी परिस्थिती नहीं, बल्कि आपका दिमाग आपके मूड को कंट्रोल करता है. 
 
मूड को कंट्रोल करता है आपका दिमागसाइकेट्रिस्ट डॉ. भवनीत कौर ने अपने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर इस बारे में बताया कि हमारा दिमाग सिर्फ सोचने का काम नहीं करता, बल्कि यह हमारे मूड, मोटिवेशन और एनर्जी लेवल को भी कंट्रोल करता है. इस काम में ब्रेन की मदद ब्रेन कैमिकल्स यानी न्यूरोट्रांसमीटर करता है. आपके मूड को कंट्रोल करने में सबसे अहम रोल सेरोटोनिन (Serotonin), डोपामिन (Dopamine) और नॉरएपिनेफ्रिन (Norepinephrine) का होता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि ये कैसे हमारे मूड पर असर डालती है. 
 

सेरोटोनिन (Serotonin)सेरोटोनिन, जिसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है. यह एंग्जायटी और लॉ मूड कारण बनता है. ये हार्मोन खुशी, शांति और इमोशनल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है. बॉडी में जब सेरोटोनिन लेवल सही रहता है, तो हम खुश, रिलैक्स और पॉजिटिव महसूस करते हैं. वहीं सेरोटोनिन लेवल कम होने पर हमें डिप्रेशन, एंग्जायटी और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है.
 
डोपामाइन (Dopamine)शरीर में डोपामाइन लेवल कम होने पर मोटिवेशन की कमी हो जाती है. दरअसल डोपामाइन हमारे दिमाग को रिवॉर्ड कैमिकल होता है, हम जब कोई काम पूरा करते हैं या कोई अचीवमेंट हासिल होता है, तो बॉडी में डोपामाइन रिलीज होता है और हमें सेटिस्फेक्शन और मेटिवेशन महसूस होता है. डोपामाइन हमें नए गोल्स सेट करने और मेहनत करने इंस्पायर करता है. वहीं जब शरीर में डोपामाइन लेवल घट जाता है, तो थकान, मोटिवेशन की कमी और उदासी महसूस होने लगती है. 

नॉरपेनेफ्रिन (Norepinephrine)नॉरपेनेफ्रिन इम्बैलेंस होने पर स्ट्रेस ओवरलोड हो जाता है. इसे माइंड अलर्टनेस और एनर्जी हार्मोन भी कहा जा सकता है. यह हमें फोकस्ड, एनर्जेटिक और एक्शन-रेडी बनाता है. बॉडी में जब नॉरपेनेफ्रिन लेवल सही रहता है, तो हम डिसीजन ले पाते हैं और स्ट्रेसफुल सिचुएशन से डील कर पाते हैं. वहीं नॉरपेनेफ्रिन लॉ होने पर सुस्ती, ध्यान न लगना, स्ट्रेस और एनर्जी की कमी महसूस होती है. 
 
कैमिकल्स को कैसे बैलेंस करें?इन कैमिकल्स को बैलेंस करने के लिए आप डेली रूटीन में कुछ आदतों को फॉलो कर सकते हैं. इसके लिए आपको रोजाना वॉक, योग या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी शुरू करना होगा. डाइट में ओमेगा-3, प्रोटीन, हरी सब्जियां और फल शामिल करना चाहिए. वहीं हर रोज 7 से 8 घंटे की गहरी और अच्छी नींद लेने की कोशिश करें. इसके साथ-साथ पॉजिटिव माहौल में रहना शुरू करें. 
 
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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