Last Updated:August 08, 2025, 07:26 ISTSupreme Court vs Allahabad High Court: सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ आदेश दिया था. हाईकोर्ट के 13 जजों ने इस फैसले के खिलाफ नाराजगी जताते हुए मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लि…और पढ़ेंसुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. प्रयागराज. ज्यूडिशियरी में नया विवाद खड़ा हो गया है. जज ने जज के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में टकराव सतह पर आ गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को लेकर सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए बड़ा आदेश दिया था. यह ऑर्डर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार के खिलाफ दिया गया था. अब हाईकोर्ट के 13 जजों ने एकजुट होकर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ फुल कोर्ट बैठक बुलाने की मांग की है.
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के 13 जजों ने मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखकर जस्टिस प्रशांत कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए हालिया आदेश पर आपत्ति जताई है और एक फुल कोर्ट बैठक बुलाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ (जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन शामिल थे) ने 4 अगस्त 2025 को एक आदेश पारित कर जस्टिस प्रशांत कुमार की न्यायिक टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि जस्टिस कुमार को आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटा दिया जाए. इसके साथ ही उन्हें एक सीनियर जज के साथ डिवीजन बेंच में बैठाया जाए. यह आदेश एक कमर्शियल डिस्प्यूट से संबंधित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया था. याचिकाकर्ता शिखर केमिकल्स ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस प्रशांत कुमार की टिप्पणी पर सख्त प्रतिक्रिया दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘हम निर्णय के पैरा 12 में दर्ज टिप्पणियों से स्तब्ध हैं… न्यायाधीश ने यहां तक कह दिया कि शिकायतकर्ता को सिविल उपाय अपनाने के लिए कहना बहुत ही अनुचित होगा, क्योंकि सिविल मुकदमे लंबा समय लेते हैं और इसलिए आपराधिक कार्यवाही की अनुमति दी जा सकती है.’ सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार्य बताते हुए हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और मामले को किसी अन्य न्यायाधीश के पास फिर से विचार के लिए भेजने का आदेश दिया.
सु्प्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों में गहरी नाराजगी देखी गई है. सूत्रों के अनुसार, जस्टिस अरिंदम सिन्हा ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस मसले पर गहरा आघात और पीड़ा व्यक्त की है. उन्होंने लिखा, ‘4 अगस्त 2025 का आदेश बिना कोई नोटिस जारी किए दिया गया और इसमें संबंधित न्यायाधीश के विरुद्ध कठोर टिप्पणियां की गई हैं.’ उन्होंने सुझाव दिया कि हाईकोर्ट की फुल कोर्ट बैठक बुलाई जाए और यह प्रस्ताव पारित किया जाए कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार प्रशांत कुमार को आपराधिक खंडपीठ से हटाया नहीं जाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के प्रशासनिक कार्यों पर नियंत्रण का अधिकार नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भाषा और लहजे पर भी आपत्ति दर्ज की जानी चाहिए. यह पत्र अन्य 12 न्यायाधीशों द्वारा भी हस्ताक्षरित किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में फिर से होगी सुनवाई
इस बीच 4 अगस्त को ही जस्टिस प्रशांत कुमार के काम में बदलाव कर दिया गया. अब 7 और 8 अगस्त को वे जस्टिस एमसी त्रिपाठी के साथ बैठकर भूमि अधिग्रहण, विकास प्राधिकरणों और पर्यावरण संबंधी याचिकाओं की सुनवाई करेंगे. ‘लॉ ट्रेंड’ की रिपोर्ट के अनुसार, उनके पास पहले जो आपराधिक मामले थे, अब उन्हें जस्टिस दिनेश पाठक को सौंपा गया है. वहीं, जस्टिस प्रशांत कुमार से संबंधित मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे आगामी शुक्रवार के लिए लिस्टेड कर लिया है.Manish Kumarबिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ेंबिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु… और पढ़ेंLocation :Allahabad,Uttar PradeshFirst Published :August 08, 2025, 07:02 ISThomeuttar-pradeshSC के खिलाफ क्यों उतरे इलाहाबाद हाईकोर्ट के 13 जज, कौन हैं जस्टिस प्रशांत