first test tube baby was born on 6 August know how india created history | कब जन्मा था इंडिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी

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first test tube baby was born on 6 August know how india created history | कब जन्मा था इंडिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी



First Test Tube Baby History: ऐसा ही एक चमत्कार 6 अगस्त, 1986 को भारत में हुआ था, जब साइंस की मदद से भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था. उस दौर में टेस्ट ट्यूब बेबी की पैदाइश को मेडिकल साइंस के क्षेत्र में वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता माना गया. 
 
टेस्ट ट्यूब बेबी जन्मी6 अगस्त, 1986 को मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी जन्मी. इस रिवोल्यूशनरी इवेंट ने असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (आईवीएफ) के क्षेत्र में भारत को ग्लोबल प्लोटफोर्ल पर स्थापित किया. इस उपलब्धि ने निसंतान दंपतियों के लिए नई उम्मीदें जगाईं और लाखों लोगों के लिए माता-पिता बनने का सपना साकार करने का रास्ता खोला.
 
ब्रिटेन में दुनिया की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी का जन्म हुआनेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश्ड (जुलाई, 2016) रिपोर्ट के अनुसार, 6 अगस्त, 1986 को भारत ने मेडिकल साइंस के फील्ड में एक हिस्टोरिकल स्टेप्स उठाया और मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में पहली साइंटिफिक रजिस्टर्ड टेस्ट-ट्यूब बेबी हर्षा का जन्म हुआ. यह अचीवमेंट असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (आईवीएफ) के फील्ड में भारत के प्रवेश का प्रतीक थी. ‘साइंटिफिक रजिस्टर्ड’ शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया गया ताकि 1978 में ब्रिटेन में दुनिया की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन के जन्म के कुछ महीनों बाद एक अन्य भारतीय डॉक्टर द्वारा किए गए समान दावों को स्पष्ट रूप से खारिज किया जा सके.
 
वर्ल्ड का पहले टेस्ट ट्यूब बेबीबताया जाता है कि इस प्रोसेस का लीडरशिप एक फेमस गाइनेकोलॉजिस्ट और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. इंद्रा हिंदुजा ने किया था. उनके साथ अन्य फिजिशियन और साइंटिस्ट्स की टीम ने भी कॉन्ट्रिब्यूशन दिया. पहली टेस्ट ट्यूब बेबी एक बच्ची थी, जिसका नाम हर्षा रखा गया. यह अचीवमेंट वर्ल्ड में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी (लुईस ब्राउन, 1978, यूके) के जन्म के केवल आठ साल बाद हासिल की गई, जो भारत की तेजी से उभरती मेडिकल क्षमता को दर्शाता है.
 
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीकइस अचीवमेंट में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसमें एग और स्पर्म को शरीर के बाहर स्टोर किया जाता है और फिर फीटस को मां के यूटेरस में इम्प्लांट किया जाता है.
 
असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीयह भारत में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की शुरुआत थी, जिसने चाइल्डलेस कपल्स के लिए माता-पिता बनने की चांसेस को बढ़ाया. इस अचीवमेंट ने भारत को आईवीएफ तकनीक में लीडिंग देशों की लिस्ट में शामिल किया, जो उस समय तक मुख्य रूप से पश्चिमी देशों तक सीमित थी. हर्षा के जन्म के बाद भारत में आईवीएफ तकनीक तेजी से विकसित हुई, और आज भारत में हजारों आईवीएफ केंद्र हैं.–आईएएनएस
 
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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