Uttar Pradesh

Varanasi Ground Report: वाराणसी में मोक्ष के लिए भी वेटिंग! बाढ़ में डूबे घाट, छत और गलियों पर हो रहा अंतिम संस्कार

Last Updated:August 05, 2025, 18:31 ISTVaranasi Flood News: वाराणसी में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर ने शहर की हालत बिगाड़ दी है. मणिकर्णिका घाट डूब चुका है और अंतिम संस्कार छत पर हो रहा है. लोगों को लंबा इंतजार और अधिक खर्च का सामना करना पड़ रहा है.हाइलाइट्समणिकर्णिका घाट पर बाढ़ के कारण शवदाह में कठिनाई.छत पर शवदाह, एक बार में केवल 10 शवों का अंतिम संस्कार.गलियों में भी हो रहा है शवदाह.वाराणसी: उत्तर प्रदेश वाराणसी में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर ने शहर की हालत को बहुत बिगाड़ दिया है. घाटों से लेकर गलियों और सड़कों तक गंगा का पानी भर चुका है. ऐसे में सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी ही नहीं, बल्कि अब मोक्ष की राह भी मुश्किल हो गई है. वाराणसी में लोग जहां अपनों की अंतिम विदाई के लिए आते हैं, वहां अब बाढ़ के कारण लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. मणिकर्णिका घाट पूरी तरह गंगा के पानी में डूब चुका है. अब अंतिम संस्कार घाट की छत पर किया जा रहा है.

छत पर हो रहा अंतिम संस्कारबाढ़ के कारण मणिकर्णिका घाट का मुख्य स्थल जलमग्न हो चुका है. ऐसे में मजबूरी में छत पर शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. छत पर जगह कम होने के कारण एक बार में केवल 10 शवों का ही अंतिम संस्कार हो पा रहा है. इसके चलते शव लेकर आने वाले लोगों को तीन से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है. इस वजह से लोगों को मोक्ष के लिए भी लंबी वेटिंग झेलनी पड़ रही है.

गंगा का पानी अब मणिकर्णिका घाट की गलियों तक पहुंच गया है. छत तक शव लेकर जाना लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन चुका है. लोगों को नाव के सहारे घाट की छत तक पहुंचना पड़ रहा है. यह प्रक्रिया काफी मुश्किल और समय लेने वाली है, जिससे शवयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बढ़ गई हैं खर्च की परेशानियांशव लेकर आए तेलु चौधरी ने बताया कि बाढ़ की वजह से घाट पर बैठने की भी ठीक जगह नहीं मिल रही है. लकड़ियां गीली होने के कारण शव जलने में भी ज्यादा समय लग रहा है. साथ ही आरोप है कि स्थानीय दुकानदार इस स्थिति का फायदा उठाकर लोगों से अधिक पैसे वसूल रहे हैं.

लकड़ी व्यापारियों की भी मुश्किलें बढ़ीं
लकड़ी व्यापारी सुनील साव ने बताया कि बारिश और बाढ़ ने घाट पर काम करना बहुत कठिन कर दिया है. गलियों में पानी भरने से लकड़ियां शिफ्ट करने में रोजाना परेशानी हो रही है. छत तक लकड़ियां पहुंचाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है, जिससे लागत भी बढ़ गई है और समय भी ज्यादा लग रहा है.

हर साल दोहराता है यही मंजरडोमराजा परिवार से जुड़े विक्रम चौधरी का कहना है कि हर साल बाढ़ के समय मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र दोनों महाश्मशान घाटों पर ऐसी ही स्थिति बनती है. अब उम्मीद है कि जब इन घाटों का नया निर्माण होगा, तो लोगों को इन मुश्किलों से राहत मिलेगी.Location :Varanasi,Uttar PradeshFirst Published :August 05, 2025, 18:31 ISThomeuttar-pradeshमोक्ष के लिए भी वेटिंग! बाढ़ में डूबे घाट,छत और गलियों पर हो रहा अंतिम संस्कार

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