Why Outbreak of Japanese Encephalitis seen Mostly in the August Month in India JE | भारत में अगस्त के महीने में ही क्यों दिखता है जापानी बुखार का कहर? जब बच्चों पर टूट पड़ती है ये बीमारी

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Why Outbreak of Japanese Encephalitis seen Mostly in the August Month in India JE | भारत में अगस्त के महीने में ही क्यों दिखता है जापानी बुखार का कहर? जब बच्चों पर टूट पड़ती है ये बीमारी



Japanese Encephalitis: जैपनीज इंसेफेलाइटिस  (JE) एक खतरनाक वायरल डिजीज है, जो मच्छरों के जरिए फैलती है और दिमाग को इंफेक्ट करती है. भारत में ये बीमारी खासतौर पर अगस्त के महीने में ज्यादा देखने को मिलती है, खासकर यूपी, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों में. इसे यहां जापानी बुखार, या दिमागी बुखार भी कहा जाता है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर अगस्त में ही क्यों जेई का कहर बढ़ता है, और ये बच्चों को क्यों ज्यादा अफेक्ट करता है?
क्यों बढ़ता है अगस्त में JE का खतरा?
1. मानसून और जल भरावजुलाई-अगस्त महीने में मानसून अपने पीक पर होता है. इस दौरान खेतों, तालाबों और आसपास के इलाकों में पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों के पनपने का आइडियल एनवायरनमेंट बनाता है.
2. मच्छरों की बढ़ती एक्टिविटीजजैपनीज इंसेफेलाइटिस क्यूलेक्स (Culex) प्रजाति के मच्छरों से फैलती है, जो चावल के खेतों और ठहरे हुए पानी में अंडे देते हैं. अगस्त में इनकी तादाद सबसे ज्यादा होती है.
3. सूअर और बगुलेये वायरस सूअरों और बगुलों में पनपता है और फिर मच्छर के जरिए इंसानों तक पहुंचता है. ग्रामीण इलाकों में सूअर पालने की प्रथा और खुले खेत इस साइकल को और बढ़ावा देते हैं.

बच्चों को क्यों होता है ज्यादा खतरा?
1. कमजोर इम्यून सिस्टम: छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं.
2. खुले में खेलना: बच्चे बाहर खेलने जाते हैं और मच्छरों के काटने से ज्यादा एक्सपोज होते हैं.
3. वैक्सीन की कमी: कई इलाकों में अभी भी जेई का टीकाकरण पूरी तरह नहीं हो पाया है, जिससे बच्चे अनसेफ रहते हैं. 
लक्षण क्या होते हैं?
1. तेज बुखार.
2. सिर दर्द और उल्टी.
3. बेहोशी या दौरे.
4. गर्दन में अकड़न.
5. बिहेवियर में चेंजेज.
अगर इलाज न मिले, तो ये दिमाग को परमानेंट नुकसान पहुंचा सकता है, और कई मामलों में जानलेवा भी हो सकता है. 
बचाव और उपाय कैसे करें?
1. JE की वैक्सीन बच्चों को जरूर लगवाएं (18 महीने और 2 साल की उम्र पर).
2. मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
3. आसपास पानी जमा न होने दें.
4. सूअरों और बच्चों के रहने की जगह अलग रखें. 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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