Uttar Pradesh

देश में सिर्फ एक ही जगह है जहां की परंपरा को गया तक मानता है! बिना यहां पिंडदान किए नहीं मिलती मुक्ति

Last Updated:August 03, 2025, 23:21 ISTSambhal Pind Daan: संभल, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है, जिसे ‘अर्ध गया’ कहा जाता है. यहां पिंडदान की परंपरा महत्वपूर्ण है, बिना यहां पिंडदान किए गया में पिंडदान अधूरा माना जाता है.हाइलाइट्ससंभल में पिंडदान की बड़ी मान्यता है.संभल को अर्ध गया के नाम से भी जाना जाता है.संभल की मान्यता पूरे देश में सबसे अलग है.संभल: उत्तर प्रदेश का संभल सिर्फ एक ऐतिहासिक शहर नहीं बल्कि धार्मिक मान्यताओं के लिए भी जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां सभी देवी-देवताओं का वास है. इस शहर से जुड़ी कुछ परंपराएं ऐसी हैं जो बाकी किसी भी शहर से बिल्कुल अलग हैं. इन्हीं में से एक है पिंडदान की मान्यता, जो पूरे देश में सबसे अलग मानी जाती है.

संभल एक ऐसा स्थान है जहां पहले पिंडदान करना जरूरी माना जाता है. अगर कोई व्यक्ति गया में पिंडदान करने जाता है और बताता है कि वह संभल से आया है, तो सबसे पहले उससे यह पूछा जाता है कि उसने संभल में पिंडदान किया है या नहीं. अगर वह कहे कि नहीं किया है, तो गया के अधिकारी साफ मना कर देते हैं और पहले संभल में पिंडदान करने की सलाह देते हैं. ऐसा न करने पर पिंडदान की प्रक्रिया अधूरी मानी जाती है और यह कहा जाता है कि आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी. इसलिए संभल की यह परंपरा देश के अन्य स्थानों से बिल्कुल अलग है.

संभल को कहा जाता है अर्ध गया
कल्कि मंदिर के पुजारी और इतिहासकार महेंद्र शर्मा बताते हैं कि संभल को ‘अर्ध गया’ कहा जाता है. इसका कारण यह है कि अगर कोई व्यक्ति संभल से गया में पिंडदान करने जाता है, तो गया में पहुंचने पर उसे वहां के मुख्य कार्यालय में अपना नाम-पता दर्ज कराना होता है. जैसे ही वह बताता है कि वह संभल से आया है, तो उससे पहला सवाल यही किया जाता है कि क्या उसने संभल में पिंडदान किया है.
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अगर वह मना करता है, तो उसे पहले संभल जाकर पिंडदान करने के लिए वापस भेज दिया जाता है. जब तक वह यह प्रक्रिया पूरी नहीं करता, तब तक गया में पिंडदान स्वीकार नहीं किया जाता. संभल का यह धार्मिक नियम बहुत गहरी आस्था से जुड़ा है. भले ही यह एक छोटा शहर हो, लेकिन इसकी मान्यता इतनी बड़ी है कि इसे ‘अर्ध गया’ के नाम से पहचाना जाता है.Location :Sambhal,Moradabad,Uttar PradeshFirst Published :August 03, 2025, 23:21 ISThomedharmगया भी मानता है इस शहर की परंपरा, बिना यहां पिंडदान के नहीं मिलती मुक्ति…

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