Uttar Pradesh

रियल लाइफ सिंघम हैं इंस्पेक्टर पीके रावत और उनकी टीम, जानिए क्या किया है ऐसा जो हर ओर हो रही है उनकी तारीफ

चंदौली: फिल्मों में अक्सर ऐसे हीरो देखने को मिलते हैं, जो लापता बच्चों को बचाकर उन्हें उनके परिवार से मिलवाते हैं, लेकिन असल जिंदगी में ऐसे दृश्य कम ही देखने को मिलते हैं. चंदौली के डीडीयू जंक्शन पर तैनात रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के प्रभारी निरीक्षक पीके रावत और उनकी टीम ने जो काम किया है, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. उनके पास न कोई सुपरपावर है और न ही कोई जादुई छड़ी, लेकिन उनके साहस, समर्पण और मानवीय संवेदना ने उन्हें एक असली हीरो बना दिया है.

223 लापता बच्चों और बच्चियों का किया रेस्क्यू

इंस्पेक्टर रावत और उनकी टीम ने 1 जनवरी 2025 से 31 जुलाई 2025 तक चलाए गए ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते और ऑपरेशन आहत के तहत 223 लापता बच्चों और बच्चियों को रेस्क्यू कर उनके परिवारों से मिलवाया या उन्हें चाइल्ड लाइन को सौंपा. इनमें से 155 लड़के और 68 लड़कियां थीं. ये सभी बच्चे किसी न किसी कारणवश घर से बिछड़ गए थे या फिर मानव तस्करी का शिकार हो गए थे.

16 मानव तस्करों को भी किया गया गिरफ्तार 

डीडीयू जंक्शन पर आरपीएफ पोस्ट के प्रभारी निरीक्षक पीके रावत ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम ने 16 मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया, जो नाबालिग बच्चों को जबरन शहरों में बाल मजदूरी के लिए ले जाते थे. इन तस्करों को कानूनी कार्रवाई के लिए जीआरपी के हवाले कर दिया गया. आगे इंस्पेक्टर रावत बताते हैं कि डीडीयू जंक्शन एक अहम रेल केंद्र है, जो बिहार, नॉर्थ ईस्ट, बंगाल, झारखंड और ओडिशा से जुड़ा हुआ है. लापता बच्चों में अधिकतर इसी क्षेत्र से संबंधित होते हैं.

जुलाई 2025 में रेस्क्यू किए गए सबसे अधिक बच्चे

इस सफल अभियान के पीछे केवल आरपीएफ की मेहनत ही नहीं बल्कि कई संगठनों का सहयोग भी शामिल है. बचपन बचाओ आंदोलन, ग्राम स्वराज समिति और राज्य सरकार द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्प डेस्क की टीमों ने भी समय-समय पर मदद की. रेलवे प्रशासन की ओर से भी हरसंभव सहयोग मिला. इंस्पेक्टर रावत और उनकी टीम अक्सर बस एक नाम, एक धुंधली तस्वीर या एक अधूरी जानकारी से शुरुआत करते हैं. इसके बावजूद वे हार नहीं मानते, कड़ी मेहनत करते हैं, दस्तावेज खंगालते हैं और अंततः उस मासूम को उसके परिजनों से मिलवाते हैं. जुलाई 2025 में बड़े अधिकारियों के निर्देश के बाद सबसे अधिक बच्चों को रेस्क्यू किया गया.

अनदेखे सुपरहीरोज में से हैं प्रमोद कुमार रावत और उनकी टीम 

यह पूरी कहानी हमें यह सिखाती है कि इंसानियत और हिम्मत के बल पर कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है. पीके रावत और उनकी टीम वास्तव में उन अनदेखे सुपरहीरोज़ में से हैं, जो समाज को सुरक्षित और संवेदनशील बनाने की दिशा में निःस्वार्थ रूप से काम कर रहे हैं.

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