धान में लग गया है खैरा रोग, तो फटाफट ऐसे करें बचाव, वरना बर्बाद हो जाएगी फसल, एक्सपर्ट से जानें लक्षण

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Last Updated:August 03, 2025, 08:34 ISTAgriculture Tips: धान की फसल में खैरा रोग मिट्टी में जिंक की कमी से होता है, जिससे फसल बर्बाद होती है. शिव शंकर वर्मा के अनुसार, जिंक सल्फेट और बुझा हुआ चूना का छिड़काव करके बचाव संभव है.हाइलाइट्सधान की फसल में खैरा रोग मिट्टी में जिंक की कमी से होता है.खैरा रोग से बचाव के लिए जिंक सल्फेट और बुझा चूना का छिड़काव करें.खैरा रोग के लक्षण: पत्तियों पर पीले धब्बे, पौधा बौना हो जाता है. सौरभ वर्मा/ रायबरेली: धान की फसल रोपाई का काम लगभग पूरा हो चुका है.अब किसान धान की फसल को खरपतवार नियंत्रण एवं फसल के विकास को लेकर कई तरह के कीटनाशक एवं उर्वरकों का छिड़काव कर रहे हैं. परंतु धान की फसल में कई तरह के रोग लगने का खतरा बना रहता है. जिससे फसल खराब होती है. फसल खराब होने पर इसकी पैदावार भी घटती है. जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. धान की फसल में लगने वाले रोग में खैरा रोग भी है. यह रोग फसल के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है. यह एक ऐसा रोग है, जो फसल को पूरी तरीके से बर्बाद कर देता है. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं धान की फसल में लगने वाले खैरा रोग और इससे बचाव के क्या उपाय हैं?

कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद) लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि यह एक ऐसा रोग है, जो मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है. इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है. जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए समय से इसका उपचार करना जरूरी होता है.

क्या हैं लक्षण : धान की फसल में खैरा रोग का प्रकोप होने पर उसकी पत्तियां हल्के पीले रंग के धब्बे और बाद में कत्थई रंग के हो जाते हैं. इसका प्रकोप होने पर पौधा बौना हो जाता है और जड़ें भी कत्थई रंग की दिखाई देने लगती हैं.

रोग लगने का कारण

वह बताते हैं कि खेत की मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों जिंक की कमी के कारण यह रोग प्रभावित हो जाता है. साथ ही वह बताते हैं कि मिट्टी में कैल्शियम और अल्काइन की मात्रा जब बढ़ जाती है, तो जिंक की कमी हो जाती है. इससे खैरा रोग लगने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इस रोग के लगने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि एक ही खेत में हाई इंटेंसिटी वाली फसलों धान, मक्का, गन्ना की खेती लगातार करने से भी मिट्टी में जिंक की कमी हो जाती है. जिससे फसलों में इस रोग के फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.इसीलिए किसान अपनी खेत की मिट्टी का परीक्षण भी समय समय पर कराते रहें .जिससे उन्हें मिट्टी में होने वाले पोषक तत्वों की कमी का पता चल सके.

ऐसे करें बचाव

शिव शंकर वर्मा के मुताबिक इस रोग से बचाव के लिए किसान धान की रोपाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर 25 किलो ग्राम जिंक सल्फेट को प्रति हेक्टेयर कि दर से मिट्टी में मिला दें. साथ ही वह 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 0.2 प्रतिशत बुझा हुआ चूना पानी में घोलकर रोग ग्रस्त खेतों में हर 10 दिन में तीन बार फसल पर छिड़काव करें. या फिर चूने की जगह दो प्रतिशत यूरिया का भी प्रयोग कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को अपनाकर किसान अपनी फसल को इस रोग से आसानी से बचा सकते हैं.Lalit Bhattमीडिया फील्ड में एक दशक से अधिक से सक्रिय. साल 2023 में News18 हिंदी से जुड़े. 2010 से नई दुनिया अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की.फिर हिंदुस्तान, ईटीवी भारत, वेबदुनिया समेत कई जगहों पर रिपोर्टिंग और डेस्क में …और पढ़ेंमीडिया फील्ड में एक दशक से अधिक से सक्रिय. साल 2023 में News18 हिंदी से जुड़े. 2010 से नई दुनिया अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की.फिर हिंदुस्तान, ईटीवी भारत, वेबदुनिया समेत कई जगहों पर रिपोर्टिंग और डेस्क में … और पढ़ेंLocation :Rae Bareli,Rae Bareli,Uttar PradeshFirst Published :August 03, 2025, 08:34 ISThomeagricultureधान में लग गया है खैरा रोग, तो फटाफट ऐसे करें बचाव, वरना बर्बाद हो जाएगी फसल

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