Kaushambi News: जहां कभी खेती बन गई थी एक सपना, अब वहीं लहलहा रही हैं फसलें, जानें कैसे हुआ ये कमाल!

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Last Updated:August 02, 2025, 22:53 ISTKaushambi News in Hindi: कौशांबी जिले के अलवारा झील के पास बाढ़ से खेती बर्बाद होती थी. किसानों की पहल पर प्रशासन ने नाले का जीर्णोद्धार किया, जिससे 1480 किसानों को फायदा हुआ और 92.391 हेक्टेयर जमीन पर खेती फिर…और पढ़ेंहाइलाइट्सजिलाधिकारी की पहल से 92.391 हेक्टेयर भूमि पर खेती शुरू हुई.मनरेगा और जनसहभागिता से नाले का जीर्णोद्धार हुआ.1480 किसानों को जलनिकासी से खेती में लाभ मिला.कौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के कछार क्षेत्र में मौजूद अलवारा झील के पास हर साल बरसात में बाढ़ आ जाती थी. इस बाढ़ का पानी किसानों की भूमिधरी जमीनों में भर जाता था, जिससे वे खेती नहीं कर पाते थे. लगातार जलभराव के कारण खेती बर्बाद होती रही और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा. इस गंभीर समस्या को लेकर किसान काफी परेशान थे और इसका हल निकालने के लिए खुद भी प्रयास कर रहे थे.

किसानों की पहल पर प्रशासन ने लिया संज्ञानजलभराव की समस्या को लेकर किसानों ने आपस में मिलकर चर्चा की और फिर जिला प्रशासन से संपर्क किया. किसानों ने जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी से मिलकर बताया कि पहले यहां एक पुराना नाला हुआ करता था, जिससे बाढ़ का पानी निकलकर यमुना नदी तक पहुंच जाता था. लेकिन अब वह नाला पूरी तरह से बंद हो गया है. किसानों ने कहा कि अगर उस नाले का फिर से निर्माण हो जाए, तो उनकी खेती दोबारा शुरू हो सकती है.

जिलाधिकारी ने किसानों की बात को गंभीरता से सुना और तुरंत एक्शन लिया. उन्होंने राजस्व विभाग, ग्राम विकास विभाग, सिंचाई विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को मौके पर जाकर सर्वे करने और रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. सभी विभागों ने संयुक्त रूप से रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को सौंपी.

जनसहयोग से बना नया रास्तारिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने निर्णय लिया कि नाले का जीर्णोद्धार मनरेगा और जनसहभागिता के जरिए किया जाएगा. खास बात ये रही कि इसके लिए सरकार से कोई अतिरिक्त बजट नहीं लिया गया. काम की शुरुआत होते ही खुद किसान आगे आए और श्रमदान शुरू किया. जब बाकी गांवों के लोग भी जुड़ते गए, तो काम तेजी से आगे बढ़ा.

लगभग तीन किलोमीटर लंबा, तीन मीटर चौड़ा और डेढ़ मीटर गहरा नाला फिर से तैयार कर दिया गया. इस पहल का सीधा फायदा पौर काशीरामपुर, शाहपुर उपहार, अलवारा और देरहा गांव के 1480 किसानों को मिला है. ये किसान अब दोबारा करीब 92.391 हेक्टेयर जमीन पर खेती कर पा रहे हैं.

सिर्फ खेती नहीं, उम्मीद भी लौटाई गई है
जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी ने इस परियोजना को एक मिसाल बताया. उन्होंने कहा कि जलमग्न 92.391 हेक्टेयर जमीन से अब जलनिकासी संभव हो पाई है. इससे खेती दोबारा शुरू हुई है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है.

उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रयास केवल खेती नहीं बहाल करते, बल्कि गांवों में नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता का रास्ता भी खोलते हैं. लंबे समय से जो जमीन बेकार पड़ी थी, वहां अब हरियाली लौट आई है और किसान एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं.Location :Kaushambi,Uttar PradeshFirst Published :August 02, 2025, 22:53 ISThomeuttar-pradeshजहां कभी खेती बन गई थी एक सपना, अब वहीं लहलहा रही हैं फसलें, जानें कैसे…

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