Uttar Pradesh

संत प्रेमानंद महाराज ने इसलिए छोड़ा था घर, बड़े भाई उनसे कभी नहीं मिलते, घर का नाम क्या है?

Agency:एजेंसियांLast Updated:July 31, 2025, 23:15 ISTPremanand Maharaj Controversy : वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज के एक वीडियो पर जमकर बवाल मचा हुआ है. वायरल वीडियो में 14 सेकेंड के प्रेमानंद जी महाराज कहते दिखाई दे रहे हैं कि 100 में चार बच्चियां ही पवित्र…और पढ़ेंसंत प्रेमानंद महाराज कानपुर के सरसौल के अखरी गांव के रहने वाले हैं… हाइलाइट्स13 साल की उम्र में घर छोड़ने वाले प्रेमानंद महाराज फिर कभी गांव नहीं लौटे. गांव में 5 बीघा जमीन है, सब कुछ छोड़कर ले लिया था संन्यास.कानपुर/वृंदावन. वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज के एक वीडियो पर विवाद जारी है. वायरल वीडियो को अधूरा बताया जा रहा है. बहुत ही निर्मल और सरल स्वभाव के संत प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कानपुर के सरसौल के अखरी गांव में हुआ था. उनके दादा भी संयासी थे. बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार था. प्रेमानंद महाराज के पिता शंभू पांडे ने संन्यास स्वीकार किया था. मां रमा देवी दुबे भी बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं. मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में संत सेवा ही दंपती का मन रमता था. घर में धार्मिक वातावरण एक चलते प्रेमानंद का भी बालावस्था से अध्यात्म की ओर से झुकाव हो गया.

उन्होंने अल्पायु में ही पूजा-पाठ शुरू कर दिया था. बताते हैं कि पांचवी कक्षा में ही भगवद गीता का पाठ करते थे. प्रेमानंद महाराज बचपन में शिव भक्त थे. घर के सामने एक मंदिर था, जिसमें वह घंटों पूजा किया करते हैं. अखरी गांव में भी आज भी उन्हें लोग ‘अनिरुद्ध पांडेय’ के नाम से ही जानते हैं. अखरी गांव कानपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर है. गांव में दो मंजिला घर के बाहर नेम प्लेट पर ‘श्रीगोविंद शरणजी महाराज वृंदावन जन्मस्थली’ लिखा हुआ है. उन्होंने 40 साल पहले छोड़कर संन्यास ले लिया. प्रेमानंद महाराज के बड़े भाई गणेश दत्त पांडेय के मुताबिक, माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. प्रेमानंद महाराज की पढ़ाई-लिखाई सिर्फ 8वीं कक्षा तक हुई है. 9वीं में भास्करानंद विद्यालय में प्रवेश लेने के चार महीने में ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था.

साल 1985 की बात है. उस समय प्रेमानंद महाराज उर्फ अनिरुद्ध पांडेय की उम 13 साल थी. उन्होंने शिव मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई. फिर एक दिन सुबह 3 बजे अचानक किसी को बिना बताए घर छोड़ दिया. फिर गांव के पास ही एक शिव मंदिर में वो 14 घंटे भूखे-प्यासे बैठे रहे. फिर सैंमसी के शिव मंदिर में चार साल रहकर आराधना की. फिर कभी गांव नहीं लौटे. वहां से वाराणसी चले गए. कठिन तपस्या के चलते तबीयत खराब हो गई. पता चला कि उनकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं. अस्पताल में जिस डॉक्टर ने इलाज किया, वो राधा रानी के उपासक थे. उन्होंने वृंदावन जाने की सलाह की. साथ ही कहा कि राधा रानी की कृपा से सब ठीक हो जाएगा. फिर क्या था, प्रेमानंद महाराज वंदावन आ गए. यहां श्री हित गौरांगी शरण महाराज को अपना गुरु बनाया. राधा रानी के भक्त बन गए.

प्रेमानंद महाराज ने इसलिए छोड़ा था घर?

प्रेमानंद महाराज के गांव छोड़ने के बारे में एक कहानी प्रचलित है. गांव के लोग बताते हैं कि बचपन में अनिरुद्ध पांडेय अपनी सखा टोली बनाए हुए थे. सखा टोली ने शिव मंदिर के लिए एक चबूतरा बनाना चाहा. इसका निर्माण शुरू ही करवाया था कि कुछ लोगों ने उन्हें रोक दिया. इससे उनका मन इस कदर टूटा कि घर ही छोड़ दिया.खोजबीन के बाद पता चला कि वो सरसौल में नंदेश्वर मंदिर पर ठहरे हुए हैं. घरवालों उन्हें लेने पहुंचे लेकिन लेकिन अनिरुद्ध नहीं माने. कुछ दिनों बाद सरसौल से भी चले गए. वाराणसी में रहने लगे. इस तरह से घर का त्याग कर संन्यासी बन गए. शुरुआत में प्रेमानंद महाराज का नाम ‘आरयन ब्रह्मचारी’ रखा गया था.

बड़े भाई कभी क्यों नहीं मिलते प्रेमानंद महाराज से

प्रेमानंद महाराज के बड़े भाई गणेश दत्त पांडेय बताते हैं कि प्रेमानंद कभी भी परिवार से नहीं मिलते. परिवार भी उनसे कभी मुलाकात नहीं करता. इस बारे में गणेश दत्त बताते हैं, ‘मिलने से बहुत दिक्कत है. वो एक संत हैं. हम गृहस्थ हैं. दोनों सगे भाई हैं. अगर एकदूसरे नजरें मिल गईं तो तुरंत प्रणाम करेंगे. जब प्रणाम करेंगे तो हमें दोष लगेगा क्योंकि हम गृहस्थी में हैं. गृहस्थ होकर एक संत को हम अपने पैर क्यों छूने दें. इसका पाप हमें लगेगा. अगर उनके साथ के संतों को पता चल गया कि हम उनके बड़े भाई हैं तो वह भी हमारे पैर छूने की कोशिश करेंगे. इतना पुण्य हमने अपने जीवन में नहीं कमाया है. इसलिए हम लोग उनसे कभी नहीं मिलते.’Chaturesh TiwariAn accomplished digital content creator and Planner. Creating enhanced news content for online and social media. Having more than 10 years experience in the field of Journalism. Done Master of Journalism from M…और पढ़ेंAn accomplished digital content creator and Planner. Creating enhanced news content for online and social media. Having more than 10 years experience in the field of Journalism. Done Master of Journalism from M… और पढ़ेंLocation :Kanpur Nagar,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshसंत प्रेमानंद महाराज ने क्यों छोड़ा था घर, परिवार से कभी क्यों नहीं मिलते?

Source link

You Missed

Jan Dhan accounts in Madhya Pradesh used to circulate cyber-fraud money; three held
Top StoriesNov 23, 2025

मध्य प्रदेश में जान धन खातों का उपयोग साइबर धोखाधड़ी के पैसे को प्रसारित करने के लिए किया जा रहा था, तीन गिरफ्तार

कैसे हुआ यह धोखाधड़ी का खुलासा? हाल ही में एक दैनिक मजदूर बिस्रम इवने (40) ने अधिकारियों के…

Scroll to Top