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Why liver damage occur in dengue transplant can be needed dr dhruv kant explains causes symptoms treatment | Explainer: डेंगू में लिवर डैमेज क्यों होता है? समय पर ट्रांसप्लांट न होने से जा सकती है जान, डॉ. ध्रुव कांत से जानें कारण, लक्षण, इलाज



देश में मानसून के साथ ही डेंगू का खतरा भी बढ़ने लगता है. वैश्विक मॉडल डेटा के आधार पर, अनुमान है कि भारत में हर साल डेंगू के 33 मिलियन मामले सामने आते हैं. ये वो मामले हैं जो अस्पताल में रिपोर्ट हुए हैं. कई सारे डेंगू इंफेक्शन के मरीज इलाज के लिए नहीं जाते हैं, क्योंकि कई घरेलू उपाय इसके इलाज के विकल्प में मौजूद हैं. यही गलती मौत का भी कारण बनती हैं. क्योंकि बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि डेंगू (Dengue Side Effects on Body) केवल तेज बुखार या लो प्लेटलेट्स की समस्या तक सीमित नहीं है. यह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर डालता है, जिसमें लिवर मुख्य रूप से शामिल है.
किस मच्छर के काटने से डेंगू होता है? ये इंफेक्शन एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है. एक बार जब यह वायरस शरीर में पहुंचता है, तो यह खून में फैलकर लिवर, बोन मैरो और खून की नसों पर असर डालता है. डेंगू के इन्फेक्शन के लक्षणों में (Dengue Symptoms in hindi) शरीर में सूजन, बुखार, बदन दर्द, थकान और त्वचा पर चकत्ते जैसी समस्याएं दिखती हैं. डेंगू में सबसे ज्यादा असर प्लेटलेट्स पर होता है. जिससे शरीर के अंगों में तरल का रिसाव हो सकता है. इस पर यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी व हेपेटोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. ध्रुव कांत मिश्रा बताते हैं कि डेंगू में समय पर पहचान और इलाज बहुत जरूरी है, खासकर जब वायरस लिवर पर असर डालने लगे. लिवर से जुड़ी समस्याएं अगर वक्त रहते नहीं पकड़ी गईं, तो यह हालत डेंगू हैमरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम तक पहुंच सकती है, जो जानलेवा हो सकता है.

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डेंगू और लिवर के बीच क्या कनेक्शन है?
डेंगू वायरस लिवर सेल्स (हेपेटोसाइट्स) पर सीधा हमला करता है, जिससे सूजन और डैमेज होता है. इससे ALT और AST जैसे लिवर एंजाइम्स बढ़ जाते हैं. कुछ मरीजों में यह स्थिति एक्यूट हेपेटाइटिस में भी बदल सकती है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि लिवर का कार्य शरीर में मेटाबॉलिज्म और टॉक्सिन्स को निकालना होता है, लेकिन जब यह प्रभावित होता है तो पूरे शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है. बुजुर्गों, बच्चों और पहले से लिवर रोग से पीड़ित मरीजों में यह खतरा ज्यादा आम है.
क्या डेंगू में लिवर फेल हो सकता है?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. मिश्रा बताते हैं कि डेंगू में लिवर फेल होने का खतरा होता है. लेकिन ऐसा सिर्फ वायरस के सीधे असर के कारण ही नहीं होता, बल्कि इम्यून सिस्टम की तेज प्रतिक्रिया और शरीर में ब्लड सप्लाई की कमी भी इसके पीछे बड़ी वजहें हैं. डॉ. आगे बताते हैं कि जब शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है और ब्लड वेसल्स से फ्लूइड लीक होता है, तब लिवर तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते हैं. इससे हाइपोक्सिक इंजरी होती है, जो लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है. इसके कारण ट्रांसप्लांट की भी नौबत आ सकती है. यदि स्थिति नहीं संभाली गई, तो यह ब्लीडिंग, जॉन्डिस और मल्टी-ऑर्गन फेल्योर जैसी घातक स्थिति में बदल सकती है.
डेंगू का लिवर पर असर होने के लक्षण?
अगर डेंगू का असर लिवर पर होने लगे, तो मरीज को ऊपरी दाहिने पेट में दर्द, मतली, भूख न लगना, पीली त्वचा और आंखें (जॉन्डिस), गहरे रंग का पेशाब, और अत्यधिक थकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं. कुछ मरीजों में आसानी से नीले निशान या ब्लीडिंग की भी शिकायत हो सकती है, क्योंकि लिवर पर्याप्त मात्रा में क्लॉटिंग फैक्टर नहीं बना पाता.
जल्दी ठीक होने के उपाय
डॉ. मिश्रा के अनुसार, डेंगू से लिवर को बचाने के लिए सबसे जरूरी है- समय पर इलाज और सही जीवनशैली. ऐसे में इलाज के दौरान क्या खूब पानी, नारियल पानी और ओआरएस लें, पर्याप्त नींद लें ताकि शरीर खुद को रिपेयर कर सके, पैरासिटामोल का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें. आइबुप्रोफेन जैसे दवाएं न लें क्योंकि ये ब्लीडिंग का खतरा बढ़ा सकती हैं. इसके साथ ही नियमित जांच करवाएं क्योंकि लिवर एंजाइम और प्लेटलेट काउंट की निगरानी जरूरी है.
आहार में क्या लें
डॉक्टर की मानें तो डेंगू से जल्दी रिकवर करने और लिवर को प्रभावित होने से बचाने के लिए पपीता, अनार, संतरा जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फलों का सेवन जरूरी है. इसके साथ ही होल ग्रेन्स और हल्का भोजन लें. प्रोटीन के लिए अंडा का सफेद भाग, दाल और हल्के मीट का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा अल्कोहल, फास्ट फूड, ऑयली और मसालेदार खाने से पूरी तरह परहेज करें. डेंगू के दौरान लिवर से जुड़ी समस्या वाले अधिकांश रोगी समय पर उपचार, हेल्दी आहार और पर्याप्त निगरानी से ठीक हो जाते हैं. लेकिन ध्यान रखें इलाज में देरी रिकवरी को स्लो या मुश्किल बना सकती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.
 



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