कुत्ते के काटने को ना करें नजरअंदाज, जानलेवा हो सकता है अंजाम, जानें कुछ जरूरी बातें

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Last Updated:July 29, 2025, 20:23 ISTकुत्ते के काटने को अक्सर हल्के में लेने की हमारी आदत कितनी घातक हो सकती है, इसका दर्दनाक उदाहरण हाल ही में यूपी के बुलंदशहर में देखने को मिला. राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की कुत्ते के काटने के कुछ …और पढ़ेंहाइलाइट्सकुत्ते के काटने से रेबीज जानलेवा हो सकता है.राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की मौत.कुत्ते के काटने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें.जौनपुर. कुत्ते के काटने को अक्सर लोग मामूली चोट समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है. ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है बुलंदशहर से, जहां राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की मौत कुत्ते के काटने के बाद हो गई. इस घटना ने न सिर्फ उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि समाज को भी जागरूक होने की चेतावनी दी है कि कुत्ते के काटने को हल्के में लेना कितना खतरनाक हो सकता है.

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए जौनपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. मोहम्मद चांद ने बताया कि कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारी रेबीज जानलेवा है. उन्होंने कहा, “अगर समय पर इलाज न मिले तो यह संक्रमण सीधे मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे रोगी की मृत्यु हो सकती है. दुर्भाग्य से अब भी कई लोग कुत्ते के काटने पर परंपरागत या घरेलू इलाज पर निर्भर रहते हैं, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ जाती है.”

घटना का विवरण
बुलंदशहर निवासी 23 वर्षीय बृजेश सोलंकी एक उभरते हुए कबड्डी खिलाड़ी थे और उन्होंने राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिताएं खेली थीं. करीब 15 दिन पहले उन्हें एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, उन्होंने इस चोट को मामूली समझा और किसी डॉक्टर से संपर्क नहीं किया. बाद में जब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें बेचैनी, जलन, बोलने में परेशानी और गले में ऐंठन जैसी शिकायतें हुईं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. परिजन उन्हें कई अस्पतालों में ले गए, लेकिन रेबीज के लक्षण उग्र हो चुके थे और आखिरकार उनकी मौत हो गई. चिकित्सकों ने पुष्टि की कि उनकी मृत्यु कुत्ते के काटने से हुए रेबीज संक्रमण के कारण हुई.

समय पर वैक्सीन है एकमात्र उपायडॉ. चांद ने जोर देते हुए बताया कि कुत्ते के काटने के तुरंत बाद उचित चिकित्सा सहायता लेना बेहद आवश्यक है. “पहले घाव को साबुन और साफ पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोना चाहिए. इसके बाद नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर एंटी-रेबीज वैक्सीन और इम्यूनोग्लोब्युलिन इंजेक्शन लेना चाहिए. 5 खुराक की यह प्रक्रिया जान बचा सकती है.” उन्होंने यह भी कहा कि अगर काटने वाला जानवर पालतू है तो उसकी निगरानी करनी चाहिए, लेकिन अगर वह आवारा है और पकड़ में नहीं आता, तो बिना देरी किए पूरा उपचार लेना ही एकमात्र विकल्प है.

सरकार और समाज की भूमिकाडॉ. चांद ने सुझाव दिया कि नगर निगमों को आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण के लिए प्रभावी अभियान चलाना चाहिए और लोगों को रेबीज की रोकथाम के लिए जागरूक करना चाहिए. उन्होंने स्कूलों, खेल संस्थानों और गांवों में विशेष शिविर लगाने की बात भी कही ताकि हर स्तर पर चेतना फैले. बृजेश सोलंकी की असामयिक मृत्यु ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक साधारण सी चूक कितनी भारी पड़ सकती है. यह घटना एक सबक है कि हर किसी को जानवरों, विशेष रूप से कुत्तों से जुड़े खतरों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. कुत्ता काटे तो डरें नहीं, लेकिन सतर्क रहें — यही जीवन की रक्षा का मूल मंत्र है.Location :Jaunpur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshसावधान! कुत्ते का काटना बन सकता है मौत का कारण, जानें कुछ जरूरी बातें

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