रोपाई के बाद अगर धान की पत्तियों पड़ने लगी हैं भूरी, तुरंत छिड़क दें ये दो दवा, बर्बादी से बचाने का यही एक तरीका

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Last Updated:July 28, 2025, 23:32 ISTJhulsa rog ki dawa : ज्यादातर किसान धान की रोपाई कर चुके हैं. कुछ जगहों पर बारिश के इंतजार में रुके हैं. जो रोपाई कर चुके हैं, उनकी फसलों में इस रोग का खतरा बढ़ गया है. समय रहते इस आफत से बचना जरूरी है.आजमगढ़. मानसून का सीजन चल रहा है. किसान धान की रोपाई कर चुके हैं. कुछ जगहों पर बारिश के इंतजार में रोपाई रुकी हुई है. आजमगढ़ में जुलाई के महीने में अनुमान के मुताबिक कम बारिश होने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. दूसरी ओर जो किसान खेतों में धान की रोपाई कर चुके हैं, उनकी फसलों में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ रही है. ऐसे में समय रहते धान की फसल को इस आफत से बचाना जरूरी है, वरना सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है.

ऐसे करें रोग की पहचानधान की रोपाई के बाद जैसे-जैसे फसल बड़ी होती है, वैसे उसमें तरह-तरह के रोगों का खतरा भी बढ़ने लगता है. मानसून की कम बारिश के कारण झुलसा रोग का खतरा बढ़ जाता है. ये रोग लगने से पौधे की बढ़वार रुक जाती है. पौधा भी सूखने लगता है. ऐसे में पैदावार प्रभावित होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. कृषि एक्सपर्ट डॉ. अखिलेश बताते हैं कि अधिक तापमान वाली गर्मी के बाद जब हल्की बारिश के बाद मौसम में उमस की मात्रा बढ़ती है तो इससे फसलों में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है. पत्तियों पर भूरे हरे रंग की लंबी धारियां बनने लगती हैं. पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. सूखा हुआ दूधिया रस भी निकलने लगता है. अगर फसलों पर इस तरह के लक्षण दिखाई दें समझ लीजिए झुलसा रोग लग चुका है.

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